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SACRED GAMES: धर्म के राक्षसों की लपलपाती जीभ का कल्याण हो या नाश?

अतापि और वतापि दो दैत्य थे. अतापि किसी भी राहगीर को बड़े प्रेम से अपने घर बुलाता, ‘आप आइए मेरे घर. शायद आपको भूख लगी है. मैं स्वादिष्ट भोजन ग्रहण कराऊंगा.’

 

राहगीर ख़ुशी-ख़ुशी आ जाते और इतने में इधर वतापि अपनी मायावी, राक्षसी शक्तियों का प्रयोग करके बकरे का रूप धारण कर लेता. अतिथि उस स्वादिष्ट बकरे का भोजन करके प्रसन्नचित हो जाते. और इतने में अतापि आवाज़ लगाता- वतापि, वतापि बाहर आओ.

 

और अचानक अतिथि का पेट फटता और एक मांस का लोथड़ा बाहर आ जाता और राहगीर परलोक. फिर दोनों भाई खुशी के मारे नाच उठते, झूम उठते. धर्मों का रूप यही है. राहगीर को प्रेम से घर बुलाओ. आदर समेत भोजन ग्रहण कराओ. फिर उसकी आत्मा पर कब्ज़ा कर लो.

 

यहूदी, मुसलमान. ईसाई मुसलमान.हिंदू मुसलमान. सब अतापि वतापि हैं.”

‘सेक्रेड गेम्स’ यानी पवित्र खेल का ये एक ऐसा किस्सा है, जो लंबे वक्त तक आज और कल के भारत को बयां कर सकता है.

 

ऑनलाइन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ‘नेटफ्लिक्स’ की पहली ओरिजिनल भारतीय सिरीज़ ‘सेक्रेड गेम्स’ लेखक विक्रम चंद्रा के नॉवल पर आधारित है.

 

नवाज़ुन सिद्दीकीद्दी, सैफ अली ख़ान, राधिका आप्टे, पकंज त्रिपाठी, वरुण ग्रोवर, अनुराग कश्यप, विक्रमादित्य मोटवानी और भी कई ज़रूरी नाम.

 

ये लोग एक जगह जुटते हैं और ‘नागिन का बदला’, ‘सास बहू के तमाचों’ के रिकेप और पुराने उधारों को चुकाने की एवज में बनने वाली बायोपिक के दौर में ‘सेक्रेड गेम्स’ के आठ एपिसोड लाते हैं.

 

ऐसे वक्त में, जब चुनावी मंचों, गुटखा-पान के ठीहों, अफ़वाहों से उबलते, हाथ में कुल्हाड़ी लिए भीड़ इन तमाम बहसों के निचोड़ में धर्म को बसाए आगे बढ़ी जा रही है. अपने-अपने धर्म के सबसे पवित्र होने का ऐलान करते हुए.

 

ऐसे माहौल में अक्सर पर्दे पर क्रूरता को दिखाने वाले और देश में चल रहे मुद्दों पर मुंहफट रहे अनुराग कश्यप ‘सेक्रेड गेम्स’ बनाने का फ़ैसला चौंकाता नहीं है.

 

मॉब लिंचिंग, राम मंदिर, नसबंदी, कांग्रेस के 70 साल वाले बयान, इमरजेंसी, गाय, खाने की टेबल पर गौमांस, मुसलमान, हिंदू और इन सबके साथ बंबइया चकाचौंध, सेक्रेड गेम्स इन सब पर बात करती है.

 

’84 में कहां थे?’

 

‘इमरजेंसी के वक्त कहां थे?’

 

‘बोफोर्स पर क्यों नहीं बोले’

 

‘शाह बानो क्यों भूले?’

 

इस पर बोले और उस पर क्यों नहीं बोले? ऐसे सवालों से आज की तारीख़ में कोई बच सकता है तो वो ‘सेक्रेड गेम्स’ है. इस सिरीज ने इमरजेंसी के बाद से लेकर हाल के दिनों पर आपके खाने की टेबल पर घूरती आंखों सब पर कैमरे से आंखें तरेरी हैं. मंडल पर भी और राम मंदिर की ओर बढ़ते विशाल विराट रथों की तरफ भी.

 

 

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