पटना: शराबबंदी के बाद सरकार को भले ही घोर राजनीतिक आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा हो लेकीन दूसरे राज्यों में अभी भी इस बात की उत्सुकता रहती है कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून कैसे लागू किया गया। इसी को लेकर कर्नाटक राज्य के टेंपरेंस बोर्ड के अध्यक्ष एच सी रुद्रप्पा ने पटना के अणे मार्ग स्थित सीएम आवास पहुंचकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और सीएम नीतीश कुमार से शराबबंदी की कहानियां भी सुनीं। बता दें कि नशामुक्ति अभियान की तैयारियों को लेकर कर्नाटक की 31 सदस्यीय टीम इन दिनों बिहार दौरे पर है। जिसका मकसद है बिहार में शराबबंदी कानून की नीतियों का पूर्ण अध्ययन करना।
मुलाकात के दौरान नीतीश कुमार ने कहा कि सामाजिक बदलाव के बिना विकास का कोई मतलब नहीं है। इस मुलाकात के दौरान शराबबंदी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने इसे सामाजिक जन आंदोलन का नाम देते हुए कहा कि शराब बंद होने से लोगों के रहन-सहन और सामाजिक स्तर में बदलाव आया है। साथ ही सड़क दुर्घटना एवं अपराध में भी कमी आई है। लोग अपनी गाढ़ी कमाई का हिस्सा शराब में खर्च कर देते थे, कम आय वाले लोगों की स्थिति दिन प्रतिदिन ख़राब होती जा रही थी। महिलाओं पर तरह तरह के अत्याचार बढ़ते जा रहे थे तो खासकर महिलाओं की आवाज पर मैंने शराबबंदी का फैसला लिया।
शराबबंदी की खूबियों पर नीतीश ने कहा कि आज भले ही सरकार को 10 हजार करोड़ का राजस्व का नुकसान हो रहा है मगर बिहार के लोगों का 10 हजार करोड़ का बचत हो रहा है। शराबबंदी से घर और गांव के माहौल में काफी बदलाव हुआ है, जो लोग अपनी कमाई से 5 या 10 सालों में मकान नहीं बना पाते थे, आज 1 साल में अपना घर बना रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने अपनी चुनावी सभा की याद दिलाते हुए कहा कि कुछ महिलाओं की ओर से शराब बंद करने की आवाज आई थी और मैंने कहा था कि अगली बार हम सत्ता में आए तो कानून लागू करेंगे। 20 नवंबर 2015 को शपथ लेने के बाद 26 नवंबर 2015 को एक सभा के दौरान मैंने घोषणा कर दी की 1 अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू की जाएगी। हालांकि ये चरणबद्ध तरिके से लागू करना था, जैसे पहले ग्रामीण स्तर पर फिर छोटे शहरों और उसके बाद बड़े शहरों में लेकिन फिर से शिकायत आने के बाद मैंने 5 अप्रैल 2016 को पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी।
इस दौरान कर्नाटक से आए प्रतिनिधिमंडल ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी एवं नशामुक्ति के संबंध में लिए गए साहसिक निर्णय की जमकर प्रशंसा की।