पटना : बिहार में आई भयंकर बाढ़ के चपेट में फंसे लोगों के सामने कई तरह की मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। एक तरफ भूख मिटाने की चिंता तो दूसरी तरफ लाश का खौफनाक मंजर, लोग दाने दाने के लिए तरस रहे हैं। यह नजारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। भयानक बाढ़ से बाहर निकल कर लोग ऊंचे स्थान पर अपना आशियाना बनाए बैठे हैं तो बाढ़ के हिलकोरे से उनके सामने अपने पराए की लाश चली आती है जिसे देख कर सभी का मन विचलित हो जाता है। कुछ ऐसा ही नजारा उत्तर बिहार के लगभग सभी जिले में देखने को मिल रहा है।जहां बारिश के कारण गंडक, बूढ़ी गंडक, मसान, पंडई, दोहरम, गांगुली, सिकटा, ओरिया, द्वारदह, हड़बोड़ा, मसान, बलोर आैर हरपतबेनी नदियों अब लोगों कि लाश उगल रहीं है। अब तक बाढ़ के चपेट में आने से जहां सैकड़ों लोगों की मौत होती है तो दर्जनों लापता है। बाढ़ पीड़ित लोगों के सामने यह नजारा देख सभी का मन विचलित हो जाता है। सभी सिस्टम को छोड़ इसे दैवीय प्रकोप समझ कर पूजा कर रहे हैं।
मुश्किलों में गुजर रही प्रभावितो की जिंदगी….
उत्तर बिहार में आई भयानक बाढ़ के चपेट मे फसे लोगों कि जिंदगी काफी मुश्किल में गुजर रही है एक तरफ पेट की आग बुझाने की चिंता तो दूसरी तरफ विषैले सांप गोजर की दहशत । इन सभी के बीच जब अपने पराए कि लाश उफान मारती बाढ़ मे दह कर सामने आती है तो बाकई दिल दहल जाता है। तो कुछ इलाके के लोग इसे दैवी प्रकोप मान किसकी पूजा कर रहे हैं तथा अपने आक्रोश को शांत करने की दुआ कर रहे है। खासकर उन लोगों के बीच ज्यादा आतंक देखने को मिल रहा है जहां कुआं चापाकल सभी जलमग्न हो गए हैं और लोगों को पानी पीने की भी काफी दिक्कत आ रही है। लोग किसी तरह ऊंचाई वाले इलाके के सड़कों पर पूरे परिवार के साथ अपना बसेरा जमाए हुए हैं तथा रात भर जागकर समय काटते हैं। सड़कों पर शरण लिए लोगों का कहना है कि किसी तरह रात भर जाग कर समय समय काटते हैं।सांप-बिच्छू और खतरनाक जंगली जानवरों के खौफ हमेशा बना रहता है।
मासूम की चीख बताती है भूख की आहट… मजबूर है हम सभी..
आप सोच सकते हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जहां बड़ो को खाने के लिए उचित भोजन नसीब नहीं हो पाता वैसे में मासूम के लिए दुध कहां से आएगा। कुछ इसी तरह का नजारा हसनगंज प्रखंड से महज चार किलोमीटर दूर महमदिया में देखने को मिला जहां सरकार के द्वारा बाढ़ पीड़ित लोगों के बीच भोजन पड़ोसी जा रही थी ।पर मासूम को पेट भरने के लिए कुछ भी नहीं दिया जा रहा था। दो-तीन महीने के नवजात बच्चे की मां और पिता का कहना था कि मां के दूध से ही पिछले कई दिनों से बच्चे की भूख मिठाई जा रही है पर उचित व्यवस्था और भोजन नहीं मिलने के कारण अब वह भी जवाब देने लगा है। बच्चे की चिल्लाहट बताती है भूख की आहट पर हम सभी इस प्रलयंकारी भयानक बाढ़ के सामने मजबूर हैं।इस जगह काफी संख्या में ऐसे बच्चे-बच्चियां हैं, जिनका जन्म एक से लेकर तीन माह पहले हुई है।
सरकारी भोजन बटने से पहले मच जाती है अफरा तफरी… बीमारी से कराहते रहते हैं लोग….
बाढ़ पीड़ित लोगों के बीच जैसे ही भोजन की खबर आती है लोग उसके तरफ दौड़ पड़ते हैं एक साथ सैकड़ों की संख्या में लोग पेट की आग बुझाने के लिए उस जगह पर टूट पड़ते हैं जहां सरकारी भोजन बट रहा होता है। जिससे अफरा-तफरी का माहौल कायम हो जाता है क्या बुढ़ा बच्चा और जवान सभी भूख मिटाने के लिए मजबूर है। तो बीमारी की वजह से कई ऐसे लोग भी है जिन्हें सरकारी सुविधाओं और उचित दवा भी नसीब नही हो रहा है। उनकी चीख और कराहने की अबाज अब तक सरकार के कानों में नहीं पहुंची है। बाढ़ पिड़ित कजरी की रहने वाली बीना देवी का हालात कुछ ऐसा ही है 3 महीने की बच्ची जहां भूख से छटपटा रही है तो पति बीमारी के कारण कराह रहे हैं। वही दुलारी देवी का साल भर का बेटा सर्दी खासी से परेशान है तो बुढ़े ससुर बुखार से पीड़ित। पिड़त का कहना है कि सरकार के द्वारा यहां स्वास्थ्य शिविर नहीं लगने के कारण काफी कठिनाइयो का सामना करना पड़ता है। नजारा ऐसा है कि अब तक एक भी डॉक्टर हम लोगों की हालात को देखते नहीं पहुंचे हैं।
बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए नेशनल हाईवे बन गया श्मशान घाट…
पिछले कई दिनों से बिहार में अचानक आग के कारण कई ऐसे लोगों की मौत हो गई जिन्हें दफनाने के लिए
2 गज जमीन भी नसीब नहीं हुआ। हुआ भी तो जैसे तैसे लोग उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं। कुछ इसी तरह का नजारा राजधानी पटना और मुजफ्फरपुर को जोड़नेवाली नेशनल हाइवे सड़क NH 57 पर देखने को मिली जहां नेशनल हाईवे के पास ही एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार किया जा रहा था। उस नेशनल हाईवे के एक तरफ लोग अपना आशियाना बनाए हुए हैं और दूसरी तरफ मृत लोगों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
कई दिनों से महिलाएं कर रही है नदी देवी को प्रसन्न करने के लिए पूजा…
बाढ़ की चपेट से मुक्ति मिलने के कारण महिलाएं अब भगवान की शरण में पहुंच रही है तथा पिछले कई दिनों से पूजा पाठ कर इस भयंकर तांडव को रोकने की प्रार्थना नदी देवी से कर रही है। नजारा बिहार के खगड़िया जिले का है जहां से होकर सात नदिया गुजरती है।कोसी और गंडक के जलस्तर में हो रहे लगातार वृद्धि को देख लोग सहम गये हैं।जिससे अलौली प्रखंड के इचारुआ पंचायत के कामाथान में दर्जनों महिलाएं नदी की पूजा अर्चना करते हुए प्रार्थना कर रही है।