नई दिल्ली : भारत में हर मां-बाप अपनी बेटी के लिए ऐसा पति चाहते हैं जो उनकी लाडली को सारी सुख-सुविधाएं दे सकें। इसी वजह से पिछले कुछ समय में एनआरआई लड़कों की डिमांड बढ़ी है। विदेश में रहने वाले इन लड़कों पर अकसर मां-बाप आंख मूंदकर भरोसा करके अपनी बेटी दे देते हैं। मगर विदेश मंत्रालय की एक रिपोर्ट आपकी आंखें खोल देगी। इस रिपोर्ट के अनुसार हर आठ घंटे में एक बेटी अपने पैरेंट्स से मदद मांगने के लिए फोन करती है। जिसके पीछे बहुत से कारण हैं।
इन कारणों में पति द्वारा छोड़ देना, बुरा बर्ताव करना और शारीरिक प्रताड़ना देना मुख्य है। विदेश मंत्रालय को 1 जनवरी 2015 से लेकर 30 नवंबर 2017 के बीच 3,328 शिकायतें मिली हैं। जिसके अनुसार दिन में बेटी ने तीन से ज्यादा बार और एक बार रात में अपने पैरेंट्स को फोन किया है। इनमें ज्यादातर महिलाएं पंजाब, गुजरात और आंध्र-तेलंगाना की हैं। सार्वजनिक सहयोग और बाल विकास की एक साल पहले आई रिपोर्ट ने भी इन कारणों की पुष्टि की है।
अमेरिका के भारतीय दूतावास में काम करने वाली आरती राव ने बताया कि ज्यादातर महिलाएं आंध्र प्रदेश की होती हैं, जहां आज भी दहेज प्रथा मजबूत है। अपने मां-बाप की खुशी के लिए लड़के स्वदेश आकर उनकी पसंद की लड़की से शादी करते हैं लेकिन उसके साथ रहने का उनका कोई इरादा नहीं होता है। अमूमन हर देश में विदेश मंत्रालय इन महिलाओं की मदद करने की कोशिश करता है।
मंत्रालय के पास आए एक शिकायत में एक महिला ने कहा था कि वह बहरीन में फंस गई हैं, क्योंकि उनके पति ने वीजा डॉक्यूमेंट फाड़ दिया है और कॉल करने से भी रोक रहा है। मंत्रालय ने खासकर ऐसी महिलाओं की शिकायतों को सुनने के लिए एक पोर्टल भी बनाया है जिसका नाम MADAD रखा गया है।
हालांकि, जानकारों का कहना है कि इस तरह के मामलों से जुड़ी हर शिकायत मंत्रालय के पास नहीं जाती, इसलिए असल पीड़ितों का आंकड़ा और अधिक होगा। एक सोशियोलॉजिस्ट का कहना है कि भारतीय पैरेंट्स को एनआरआई दूल्हे से बेटी की शादी करने का कुछ अधिक ही शौक होता है जो इस समस्या की एक वजह है।