बीएसपी प्रमुख मायावती ने सोमवार को मेरठ की रैली में बीजेपी पर बड़े आरोप लगाए। मायावती ने कहा कि ईवीएम को लेकर हमारे आरोपों से लोगों का ध्यान हटाने और सियासी फायदे के लिए सहारनपुर में जातीय दंगे कराए गए। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सहारनपुर में मामूली विवाद को जातीय संघर्ष में बदल दिया। मायावती ने कहा कि यूपी के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने EVM में गड़बड़ी करके चुनाव जीती है। बीएसपी कार्यकर्ताओं ने EVM के खिलाफ यूपी के जिला मुख्यालयों पर 11 अप्रैल को धरना प्रदर्शन भी किया। उन्होंने कहा कि EVM के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट गए, तो बीजेपी ने इससे ध्यान हटाने के लिए एक सोची समझी साजिश के तहत सहारनपुर के शब्बीरपुर गांव में दलित-राजपूत के बीच दंगा कर दिया।मायावती ने कहा कि बीजेपी ने दलित मतों में सेध लगाने की मंशा से दंगा कराया है। उन्होंने कहा कि दंगे के बाद दलितों के आंशू पोछने के नाम पर दलितों के बीच में आकर बीजेपी नेता बड़े-बड़े भाषण देंगे और दलितों की सहानुभूति पाएंगे।
मायावती ने कहा कि सहारनपुर में दलितों का शोषण हुआ। उन्होंने कहा 18 जुलाई को राज्य सभा में उन्हें इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष ने बोलने नही दिया है। उन्होंने कहा कि इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है। यही वजह है कि मैने राज्यसभा सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने सहारनपुर में मामूली विवाद को जातीय संघर्ष करा दिया। BJP ने इस घटना को इस मंशा से किया कि घटना के बाद मायावती आएगी तो भाषण देंगी और मेरे रहते हुए खूनी संघष हो जाएगा। मायावती ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि दलितों के साथ-साथ मेरी हत्या भी कर दी जाएगी। मायावती ने कहा इसके बाद बीजेपी के लोग फिर आरएसएस से जुड़े रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया। गौरतलब है कि मायावती ने अपनी सियासी ताकत की आजमाइश के लिए पश्चिमी यूपी में रैलियों के साथ नई कवायद की शुरुआत की और मेरठ में पहली रैली सोमवार को की। राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद मायावती की ये रैली है। बीएसपी की इस रैली में मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद मंडल के कार्यकर्ता शामिल होने का दावा है। बीएसपी मेरठ के महारैली में भीड़ जुटाकर विरोधी दलों को अपनी ताकत का एहसास कराने के साथ-साथ खिसकते जानाधार की बात करने वालों को भी वो मुंहतोड़ जवाब देना चाहती हैं।
हर किसी के बैठने की जगह निर्धारित
रैली स्थल पर मेरठ, सहानरपुर और मुरादाबाद मंडल के वर्करों के बैठने के लिए 3 अलग-अलग ब्लॉक बनाए गए हैं, ताकि यह पता रहे कि किस मंडल से कितनी भीड़ आई। महिलाओं के बैठने के लिए मंच के बिल्कुल सामने जगह बनाई गई है। महिला बीबीएफ की वर्कर उनकी जिम्मेदारी संभालेंगी।
मोदी-योगी होंगे निशाने पर
मेरठ की महारैली में माना जा रहा है कि बीएसपी सुप्रीमो के निशाने पर पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी होंगे। बीएसपी नेता हाजी याकूब कैरशी ने कहा कि बहनजी इस महारैली में दलित उत्पीड़न के मुद्दे को उठाएंगी। कुरैशी ने कहा यूपी में योगी सरकार के आने के बाद राज्य में दलितों के साथ लगातार उत्पीड़न हो रहा है। मेरठ लोकसभा के प्रभारी हाजी याकूब कुरैशी ने बताया कि 40 विधानसभा के पार्टी कार्यकर्ता मेरठ की रैली में शामिल हो रहे हैं। ऐसे में लोग उन्हें सुनने के लिए बेताब हैं। ऐसे में काफी तादाद में भीड़ जुटने का अनुमान है। मेरठ की महारैली में हर विधानसभा से करीब 10 हजार से 15 लोगों के आने का अनुमान है। मेरठ के सरधना से प्रत्याशी रहे हाफिज इमरान याकूब ने कहा कि मेरठ की रैली एक ऐतिहासिक रैली होगी और करीब 5 लाख लोगों की भीड़ जुटेगी।
इस्तीफे के बाद माया की पहली रैली
दरअसल पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के शब्बीरपुर में हुई दलित और राजपूत के बीच हिंसा हुई थी। मायावती इस मुद्दे पर राज्यसभा में बोलना चाहती थीं, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया था। मायावती को ये बात इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने राज्यसभा के सदस्य पद से ही इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्होंने रैलियों के जरिए दलित उत्पीड़न की बात उठाना चाहती हैं। मायावती ने यूपी के सभी मंडलों में हर महीने की 18 तारीख को रैली करने का ऐलान किया था। इसी कड़ी में सोमवार को पहली रैली मेरठ में हो रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही बीएसपी का मजबूत गढ़ माना जाता है। मायावती दलित में जाटव समाज से आती हैं और जाटव समाज की बड़ी आबादी पश्चिमी यूपी में है। पश्चिमी यूपी में दलितों के साथ-साथ मुस्लिमों की भी बड़ी आबादी है। खासकर जिन तीन मंडलों के लोग शामिल हो रही हैं, इनमें मुस्लिमों की करीब 30 से 40 फीसदी आबादी है। ऐसे में मायावती ने अपनी ताकत की आजमाइश के लिए अपने गढ़ को ही चुना है, जहां वो दलित मुस्लिम को एकजुट करके मुंहतोड़ जवाब देना चाहती हैं।
मजबूत संदेश देने की कोशिश
मायावती इस बात को बाखूबी जानती हैं कि पहली रैली उनके दोस्त और दुश्मन दोनों की नजर है। ऐसे में उनकी पहली रैली बाकी की रैली के माहौल को बनाने की भूमिका अदा करेंगी। इसीलिए वह किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसीलिए उन्होंने अपने गढ़ से हुंकार भरने का फैसला किया है, ताकि बाकी होने वाली रैलियां भी सफल हो सकें।