महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कोपर्डी गांव में हुए बर्बर बलात्कार और हत्याकांड के तीन दोषियों को सत्र अदालत ने मौत की सजा सुनाई है. साल 2016 में 15 वर्षीय एक बच्ची के साथ इस वारदात को अंजाम दिया गया था. आरोपियों ने बच्ची की हत्या करने से पहले उसके पूरे शरीर पर घाव दिए और हाथ-पैर तोड़ दिए थे.
अतिरिक्त विशेष न्यायाधीश सुवर्णा केवले ने इस केस में जितेन्द्र बाबुलाल शिंदे, संतोष गोरख भवाल और नितिन गोपीनाथ भाईलुमे को मौत की सजा सुनाई है. न्यायाधीश ने 18 नवंबर को इन तीनों को बलात्कार, हत्या और आपराधिक षड्यंत्र का दोषी करार दिया था. इस घटना को लेकर मराठा समुदाय ने कड़ा विरोध प्रदर्शन किया था.
मराठा समुदाय के लोगों ने पूरे प्रदेश में विरोध मार्च निकाले थे. इस समुदाय से ताल्लुक रखने वाली पीड़िता का शव अहमदनगर जिले के कोपर्डी गांव में 13 जुलाई, 2016 को मिला था. उसकी बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी. इतना ही नहीं उसके पूरे शरीर पर गंभीर घाव के निशान के साथ हाथ-पैर तोड़ दिए गए थे.
इस मामले में लोगों के भारी विरोध प्रदर्शन के बीच अहमदनगर पुलिस ने 7 अक्तूबर, 2016 को आईपीसी की धारा और पॉक्सो कानून के तहत केस दर्ज किया था. इस घटना की गंभीरता को देखते सरकार ने इस मामले में वरिष्ठ सरकारी वकील उज्जवल निकम को मामले की पैरवी के लिए नियुक्त किया गया था.
इस केस में फैसला आते वक्त कोर्ट के बाहर 1000 पुलिसवाले तैनात किए गए थे. सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम था. कोपर्डी और कर्जत में बंद का एलान किया गया था. इतना ही नहीं इस फैसले पर पूरे राज्य का ध्यान लगा हुआ था. पीड़ित परिवार और उनके वकील ने आरोपियों के लिए फांसी की सजा देने की मांग की थी.
बताते चलें कि देश की राजधानी दिल्ली में इस तरह का एक भयावह कांड सामने आया था. निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप करने के बाद उसके साथ हैवानियत की सारी इंतहा पार कर दी गई थी. हैवानों ने पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में लोह की रॉड डालकर जख्मी कर दिया था. इस कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था.