नई दिल्ली : अंतर्राष्ट्रीय ग्लोबल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (S&P) ने अर्थव्यवस्था पर भारत की रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया है। स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने भारत की रेटिंग को ट्रिबल बी माइनस (‘BBB-‘) पर ही स्थिर रखा है। आपको बता दें कि इससे पहले मूडीज ने भारत की रेटिंग को बढ़ाया था।
एस एण्ड पी का कहना है कि भारत को जो रेटिंग दी गई है वह उसकी मजबूती, जीडीपी वृद्धि, बेहतर विदेशी छवि और बेहतर मौद्रिक साख को परिलक्षित करती है। इसके साथ ही भारत के मजबूत लोकतांत्रिक संस्थान और उसका स्वतंत्र मीडिया नीतियों में स्थिरता और सुलह-सफाई को बढ़ावा देता है। इससे उसकी रेटिंग को भी समर्थन मिला है। लेकिन भारत की कम प्रति व्यक्ति आय और अपेक्षाकृत ऊंचा सरकारी कर्ज उसकी मजबूती के समक्ष उसे संवेदनशील बना देता है।
पिछले साल एस एंड पी ने 2016 में भारत की रेटिंग ट्रिबल बी माइनस (‘BBB-‘) बरकरार रखी थी, जबकि नजरिया स्थिर रखा था। ध्यान रहे कि ये निवेश के मामले में आखिरी रेटिंग होती है। साथ ही नजरिया स्थिर रखने का मतलब ये होता है कि रेटिंग फिलहाल भले ही बढ़े नहीं, लेकिन गिरने के भी आसार नहीं हैं। बीते साल रेटिंग में बदलाव नहीं किए जाने पर सरकार ने एस एंड पी की तीखी आलोचना की थी और कहा था कि एजेंसियों को रेटिंग तय करने के तरीके पर गौर करना चाहिए।
आपको बता दें, इससे पहले एस एंड पी ने जनवरी 2007 में भारत की रेटिंग बदली थी, तब उसने भारत को BBB-रेटिंग दी थी। यह रेटिंग बॉन्ड्स के निवेश में सबसे निचली रेटिंग होती है। 2007 में रेटिंग एजेंसी ने आउटलुक स्थायी किया था, लेकिन 2009 में इसे बदलकर ‘निगेटिव’ कर दिया था। इसके बाद फिर 2010 में इसे स्थाई कर दिया गया था।
स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एस एंड पी) में अगर रेटिंग सुधरती है तो विदेशी निवेशकों का भारत पर विश्वास और बढ़ेगा और विदेशी निवेशक खुलकर निवेश कर सकेंगे। घरेलू निवेशक भी पैसा लगाने के लिए प्रोत्साहित होंगे, रुपया और मजबूत हो जाएगा। नोटबंदी, जी.एस.टी. जैसे बड़े फैसले पर मुहर लग जाएगी।