पटना : राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद् (एससीइआरटी ) अपने कारनामों को लेकर अक्सरहां विवादों में रहा है। इस बार फिर से एक नई विवाद छिड़ गई है। मामला है वहीँ के एक व्याख्याता इम्तियाज आलम का। एक तरफ जहां परिषद् में हुई उसकी नियुक्ति को लोग नियम के विरुद्ध बता रहे हैं वहीँ दूसरी तरफ उस पर एक महिला शिक्षिका के साथ बलात्कार के प्रयास का भी आरोप है।
बलात्कार के आरोपी इम्तियाज आलम शिक्षा एवं शोध के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण संस्था एससीइआरटी में व्याख्याता बनकर चांदी काट रहे हैं। इस बाबत अखिल भारतीय महिला शिक्षक महासंघ की महासचिव कुंती देवी ने सरकार के आला अधिकारी को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में इस बात की चर्चा की है कि इम्तियाज का चरित्र ठीक नहीं है और वो पहले भी इस तरह के कार्यों में लिप्त रहा है।
शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, निदेशक प्रशासन शिक्षा विभाग और निदेशक, एससीइआरटी पटना, बिहार सहित निदेशक ( अन्वेषण ) शिक्षा विभाग, पटना बिहार के नाम 12 जुलाई 2017 को लिखे पत्र में महिला नेत्री ने कहा है कि इम्तेयाज आलम पूर्व के दिनों में इसलामपुर के निकट एक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक था जहां उसने उसी स्कूल की एक शिक्षिका के साथ बलात्कार का प्रयास किया था। बाद में जब वो महिला शिक्षिका शोर मचाने लगी तो वो वहां से जान बचाकर भाग निकला और पटना में जोर -तोड़ करके राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद् में बतौर व्याख्याता इंट्री ले ली।
हालांकि राज्य शिक्षा शोध परिषद् में कैसे इम्तियाज की इंट्री हुई यह एक जांच का मामला है क्योंकि परिषद् में नियुक्ति की प्रक्रिया किसी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक बनने से ज्यादा कठिन है, लेकिन फिर भी उसकी नियुक्ति हुई और वो भी तब जबकि उसपर बलात्कार के प्रयास जैसे गंभीर मामले थे।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताविक इम्तियाज आलम पर और भी कई तरह के गंभीर आरोप हैं। जानकारी के अनुसर हाल के दिनों में भी परिषद् में एक महिला शिक्षिका के साथ दुर्व्यवहार किया गया था जिसको लेकर उक्त महिला राज्य महिला आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन अफसोस यह कि अभी तक उक्त व्याख्याता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस मसले को लेकर हुई बातचीत में संस्थान की निदेशक मंजुलाल बताती हैं कि आरोप के अलोक में कार्रवाई शुरू कर दी गई है लेकिन संचिका अभी उनके पास नहीं आई है।
मूल बात यह है कि इस मसले की गंभीरता को देखते हुए इस दिशा में अविलंब कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि ज्ञान का मंदिर ही जब बलात्कार के दायरे में आ जाय तो फिर कौन ज्ञान लेने उस मंदिर में जायेगा जहां ज्ञान देने वाले शिक्षक भूखे भेड़िये की शक्ल में अपने सहयोगी और छात्राओं को देखने लगे।