भोजपुर: बिहार भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष विशेश्वर ओझा हत्याकांड में भोजपुर पुलिस को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। पुलिस ने बिहियां थाना अंतर्गत बहोरनपुर से एक थ्री नट थ्री (303) राईफल बरामद किया है। राइफल की बरामदगी गुप्त सूचना के आधार पर की गई छापेमारी के दौरान बहोरनपुर के बंका राय के घर से हुई है। विशेश्वर ओझा के भाई मुक्तेश्वर ओझा उर्फ भुवर ओझा ने दावा किया है कि बरामद राइफल का इस्तेमाल विशेश्वर ओझा की ह्त्या में किया गया है। मुक्तेश्वर का कहना है की यह वही राइफल है जिसका खोखा ह्त्या के बाद घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने मौक़ा-ए-वारदात से बरामद किया था।
बता दें 12 फरवरी 2016 को विशेश्वर ओझा की शाहपुर थाना के करनामेपुर ओपी के सोनवर्षा बाजार में अंधाधुंध फायरिंग कर ह्त्या कर दी गई थी। ओझा की ह्त्या अब तक प्रदेश में हुई कई अन्य राजनीतिक हत्याकांडों में से एक है। इस हत्याकांड ने एक बार तो प्रदेश की क़ानून व्यवस्था पर हीं सवालिया निसान लगा दिया था। इस हत्याकांड के बाद क्षेत्र में हीं नहीं बल्की प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में भी भूचाल आ गया था। ओझा के प्रशंसकों का एक बड़ा समूह आज भी इस सदमे से उबर नहीं पाया है। इस मामले में सात के विरुद्ध नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इस मामले में अब तक कई लोग सलाखों के पीछे जा चुके हैं जबकी कई अभियुक्त अभी भी खुला घूम रहे हैं।
घटना पर अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय रही है, लेकिन इस हत्याकांड की उलझी हुई गुत्थी को सुलझाने के लिए एंडी-चोटी का जोड़ लगा चुके विशेश्वर ओझा के छोटे भाई मुक्तेश्वर ओझा का कहना है कि कुछ लोग हैं जो शुरू से हीं इस ह्त्या को अलग रूप देने में लगे हैं, ताकि जांच की दिशा को बदला जा सके। कुछ बिन्दुओं पर गौर करें तो हद तक मुक्तेश्वर की बातों में सच्चाई भी है जिसकी कई वजहें हैं। पहली वजह तो ये की हत्या के इतने दिनों बाद भी पुलिस ना तो ह्त्या में प्रयुक्त उस कार्बाइन को खोज पाई जिससे निकली गोलियों ने विशेश्वर के शारीर छलनी-छलनी कर दिया ना ये स्पस्ट कर पाई की ह्त्या की मूल वजह क्या थी और इसके पीछे कौन सा सिंडिकेट सक्रीय था। दूसरी वजह मोबाइल सीडीआर से जुड़ा है जिसे लेकर ह्त्या के बाद से हीं परिजनों द्वारा हर स्तर पर पुलिस से आग्रह किया जाता रहा है लेकिन पुलिस द्वारा अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
बता दें किसी भी ह्त्याकाण्ड में प्रयुक्त हाथियार का मिल जाना और मोबाइल सीडीआर के जरिये ये पता करना की वारदात को अंजाम देने से पहले और बाद में अपराधकर्ता किसके संपर्क में था, अनुसंधान की दिशा में एक बहुत बड़ी उपलब्धि होती है जो अनुसंधान को हद तक आसान और सुगम कर देती है। अब तक ऐसे कई मामले प्रकाश में आये हैं जिनमे हथियार और मोबाइल सीडीआर के जरिये पुलिस मुख्य अभियुक्त तक पहुंची है। उदाहरण के लिए गया के आदित्य ह्त्याकांड और आरा कोर्ट ब्लास्ट को हीं ले लीजिये। आदित्य के हत्यारे रॉकी यादव की गिरफ्तारी जहां ह्त्या में प्रयुक्त हथियार के जरिये हुई वहीँ आरा कोर्ट ब्लास्ट मामले में पूर्व जदयू विधायक सुनील पाण्डेय की गिरफ्तारी इस बिनाह पर हुई की ब्लास्टकर्ता ने वारदात को अंजाम देने के वक्त उनसे बातचित की थी।
हालांकि इस मामले में हाल के दिनों में हो रही पुलिसिया कारवाई से विशेश्वर ओझा का परिवार पूरी तरह संतुष्ट है और ये मान रहा है की देर से हीं सही पुलिस सक्रीय हुई है लिहाजा अब जल्द हीं सब कुछ सामने होगा और सभी दोषी सलाखों के पीछे जायेंगे।
रिपोर्ट: अभय पाण्डेय