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नोटबंदी के एक साल बाद मोदी सरकार का बड़ा फैसला, बंद किये सवा दो लाख से अधिक फर्जी कंपनियां

नई दिल्लीः  नोटबंदी के करीब एक साल बाद मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुये दो लाख चैबीस हजार ऐसी कंपनियों को बंद करने का बड़ा फैसला किया है। ये ऐसी कंपनियां हैं जिनका पिछले दो साल से अधिक समय से कोई कारोबार नहीं हो रहा था। भारत सरकार के कंपनी मामलों के मंत्रालय ने इन कंपनियों के बैंक खातों पर भी पाबंदी लगा दी गई है। 56 बैंकों से मिली जानकारी के अनुसार 35 हजार कंपनियों के 58 हजार खातों की जांच के बाद पता चला कि नोटबंदी के बाद इन खातों से 17 हजार करोड़ का लेन देन हुआ है।

संपत्ति की खरीद फरोख्त पर भी पाबंदी

केंद्र सरकार के द्वारा बंद की गई कंपनियों में से एक कंपनी ऐसी है जिसका बैलेंस नोटबंदी के पहले निगेटिव था। लेकिन नोटबंदी के बाद इस कंपनी के खातों में 2 हजार 484 करोड़ जमा किये और निकाले गये है। केंद्र सरकार ने बैंक खातों के अलावा इन कंपनियों की संपत्ति की खरीद-फरोख्त पर भी पाबंदी लगाई गई है। इसके साथ ही राज्य सरकारों से कहा गया कि इन कंपनियों की संपत्ति की रजिस्ट्री न की जाए।

कार्रवाई के लिए पीएमओ ने बनाई टास्क फोर्स

इन कंपनियों पर कार्रवाई के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से विशेष टास्क फोर्स का गठन किया गया है। टास्क फोर्स के अध्यक्ष रेवेन्यू और कंपनी मामलों के सचिव को बनाया गया हैं। ये एसटीएफ फर्जी कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाएगी। अभी तक एसटीएफ की पांच बैठकें हुईं और कई फर्जी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है जिससे काला धन निकालने में मदद मिलेगी।

रिटर्न दाखिन ना करने वाली कंपनियों के डायरेक्टर अयोग्य घोषित

मालूम हो कि 2013-14 से 2015-16 तक लगातार जिन कंपनियों ने वित्तीय स्टेटमेंट या एनुअल रिटर्न दाखिल नहीं किया हैं उनके निदेशकों को अयोग्य घोषित करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। प्राथमिक जानकारी के अनुसार 3000 से ज्यादा अयोग्य घोषित किये गये निदेशक 20-20 से ज्यादा कंपनियों के निदेशक हैं जो कानून के खिलाफ है

डीआईएन को आधार से जोड़ा जाएगा

आने वाले दिनों में डमी निदेशकों की दिक्कत से निपटने के लिए अब नए आवेदनों के लिए डीआईएन को पैन और आधार के साथ जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही बायोमेट्रिक जांच की जाएगी। बाद में चलकर इसे पुराने निदेशकों पर भी लागू किया जा सकता है।

 

 

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