पटना: बिहार बोर्ड की परीक्षाओं में कदाचार को देखते हुए बोर्ड इस बार कुछ ज्यादा हीं सतर्क है। इसके लिए बोर्ड तयारियाँ भी शुरू कर दी है। बोर्ड किसी भी सूरत में 2018 के प्रायोगिक परीक्षा को कदाचारमुक्त कराना चाहती है। इसके लिए बोर्ड की ओर से प्रश्नों के पैटर्न से लेकर प्रश्नपत्रों व उत्तरपुस्तिकाओं का डिजायन भी बदला जा रहा है। नया बदलाव इंटर व मैट्रिक के प्रायोगिक विषयों की परीक्षाओं के प्रारूप से जुड़ा है।
मैट्रिक में विज्ञान विषय में फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी के अलग-अलग एक्सटर्नल होंगे, जिनकी प्रायोगिक परीक्षाएं अलग-अलग ली जाएगी। अलग-अलग लैब में परीक्षा लेने की तैयारी भी चल रही है। अब तक प्रायोगिक परीक्षा के नाम पर परीक्षा केंद्र केवल खानापूर्ति हीं करते थे। पैसे लेकर या पहुँच के आधार पर मनमाना अंक बिठा दिया जाता था। लेकिन बोर्ड ने इस बार मैट्रिक और इंटर की प्रायोगिक परीक्षा के दौरान विशेष सख्ती बरतने की तैयारी की है।
बोर्ड के मुताबिक इंटर के तीन संकायों साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स की प्रायोगिक परीक्षा के स्वरूप में भी बदलाव किया जा रहा हैं। इस बदलाव के बाद छात्रों को अब चार तरह के प्रारूप से गुजरना होगा जो कुछ इस प्रकार से हैं प्रयोग, कियाकलाप, सतत् कार्य और मौखिक परीक्षा। इन सबके लिये अलग-अलग अंक भी निर्धारित किया जा सकता है।
प्रायोगिक परीक्षा के पैटर्न में बदलाव को लेकर बिहार बोर्ड की ओर से सात अक्टूबर को विशेषज्ञों की एक बैठक बुलायी गयी थी। इस बैठक में विशेषज्ञों की टीम ने वास्तविक मूल्यांकन को लागू करने की सलाह दी है। समिति की ओर से प्रायोगिक परीक्षा के स्वरूप पर अंतिम मुहर के लिये 6 नवंबर को पुनः बोर्ड की बैठक बुलाई गई है। बैठक में यह निर्णय हो सकता है कि 2009 में बने सिलेबस के अनुसार प्रायोगिक परीक्षा ली जाए।
गौरतलब है कि 2009-11 सत्र से SCERT द्वारा प्रायोगिक परीक्षा का सिलेबस बनाया गया था। सिलेबस के अनुसार हर विषय के लिए अलग-अलग अंक निर्धारित किए गए थे। इस निर्धारण के अनुसार प्रायोगिक परीक्षा नहीं ली जा रही थी।
By: Abhay Pandey