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उम्र खेलने की पर कारनामे ऐसे की जानने वाले हो गए हैरान…

  अभय पाण्डेय

राेहतास : सच हीं कहा गया है कि उड़ान पंखो से नहीं हौसलों से होती है। इस बात को चरितार्थ किया है डेहरी अनुमंडल के एक छोटे से गांव शिवपुरी में रहने वाले 12 वर्षीय कुमार राज ने। कुमार ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए अपनी लगन से एक पॉकेट कम्प्यूटर तैयार किया है। अब कुमार के इस कारनामे से सभी लोग हैरान हैं। हैरत की बात तो ये कि ये सब उसने बगैर किसी के सहयोग और मार्गदर्शन के अकेले अपने दम पर किया है। दरअसल राज जब 8 साल का था तभी से टीवी पर प्रसारित होने वाले कार्टून चैनलों पर रोबोट को देखकर उसके दिमाग में उसे बनाने की उत्सुकता जगी। रात-रात को उठ कर वो उसके लिए तैयारी करने लगा। कई बार तो ऐसा हुआ की घर वाले उसे इस तरह से रात को जगा देख घबरा गए। जब घर वालों ने इस बाबत पुछा तो राज का जवाब सुन कर वो हैरान रह गए, क्योंकि तब घर वाले रोबोट, कंप्युटर और इस तरह के अन्य उपकरणों से बिल्कुल हीं अनजान थे।

उनके लिए ये सब कोरी कल्पना से ज्यादा कुछ नहीं था। यही नहीं इस बात को जब राज ने अपने दोस्तों और अन्य परिजनों के सामने रखी तो सब उसके इस सोंच पर हंसने लगे। लेकिन इन सब का राज के इरादे पर कोई खास असर नहीं पड़ा। वह लगातार प्रयास करता रहा। रोबोट बनाने के लिए उसने सर्चइंजन गूगल को अपना गुरु मान लिया। काफी छान-बीन के बाद गूगल से उसने ढेर सारी जानकारीयां इकट्ठा कि जिनके मुताबिक रोबोट में माइक्रोप्रोसेसर, माइक्रोचिप और माइक्रोकंट्रोलर का अहम रोल है। इसके अलावे भी कई सारे उपकरणों की जरुरत थी जिसमें आने वाला खर्च उसकी पहुंच और सोंच से कहीं ज्यादा था। वो थोड़ा मायुस हो गया, पर हिम्मत नहीं हारी। उसे लगा रोबोट बनाने से पहले उसे एक कंप्युटर को समझना होगा। उसने रोबोट को ध्यान में रख कर सबसे पहले कंप्युटर को समझना शुरू किया और बिना किसी के मार्गदर्शन के एक पॉकेट कंप्युटर बना डाला।

राज के बनाए इस पॉकेट कम्प्यूटर में मार्केट में बिक रहे अन्य पॉकेट कम्प्यूटर से ज्यादा एप्लीकेशन्स मौजूद हैं। माइक्रोप्रोसेसर बेस पर काम करने वाला ये पॉकेट कंप्यूटर उबुन्टू ऑपरेटिंग सिस्टम से काम करता है, जिसमे  4 USB पोर्ट लगे हैं। बता दें ज्यादातर  पॉकेट कम्प्यूटर में तीन  ही होते हैं। इस पॉकेट कम्प्यूटर में  Wi fi, Bluetooth और AV आउटपुट के अलावें खई अन्य फिचर्स  भी मौजुद हैं। आम तौर पर लैपटॉप और अन्य कम्युटर में नेट चलने के लिए जहाँ मॉडेम या Wi-Fi की जरूरत होती वही इस पॉकेट कम्युटर में सिम स्लॉट भी है जीससे इटरनेट आसानी से चलाया जा सकता है। इतना हीं नहीं इससे अन्य डीवाइस को  इंटरनेट से कनेक्ट भी किया जा सकता है। राज के मुताबिक इस पॉकेट कंप्युटर को वो अन्य कंप्युटरों से ज्यादा उपयोगी बनाना चाहता है जिसके लिए वो लगातार प्रयासरत है। जिस समय ये ख्याल कुमार राज में मन में अंगड़ाईयां ले रहे थे उस समय उसकी उम्र महज 8 साल थी

आज कुमार की उम्र 12 वर्ष है। जो घर वाले उसके इस सोंच को बचपना मान रहे थे वो आज नाज़ कर रहे हैं और उसे आगे बढाने मे हर सहयोग करने के लिये तैयार हैं, ताकि उनका बेटा देश का नाम रौशन कर सके। लेकिन दुसरी तरफ घर वाले मायुस भी हैं क्योंकि उन्हे पता है लगन और प्रतीभा के धनी लोगों कि इस दुनिया में कोई कमी नहीं लेकिन कई बार पैसे के अभाव में वो दम तोड़ देती है।  इस पॉकेट कंप्युटर में आने वाला खर्च बहुत ज्यादा नहीं था लेकिन राज के लगन और काबिलियत को बेहतर उड़ान देने के लिए आगे की आर्थिक रूप से मदद की उम्मीद सरकार से है , ताकि आगे बढने में कोई बादा न आए !

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