नई दिल्ली- छोटे व्यापारियों और निर्यातकों को राहत देने के बाद सरकार अब शहरी मध्यम वर्ग को जीएसटी में बड़ी राहत देने जा रही है। जीएसटी काउंसिल अगली बैठक में एसी रेस्तरां में खाने पर जीएसटी की मौजूदा दर 18 प्रतिशत को घटाकर 12 प्रतिशत कर सकती है। ऐसा होने पर एसी रेस्तरां में खाने पर टैक्स का बोझ एक तिहाई कम हो जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक जीएसटी काउंसिल के मंत्रिसमूह में इस बात पर सहमति बन गई है कि एसी और गैर-एसी श्रेणी के भेद को खत्म कर किसी भी रेस्तरां में खाने पर जीएसटी की दर 12 प्रतिशत कर दी जाए। फिलहाल एसी रेस्तरां में खाने पर 18 फीसद जीएसटी लगता है। गैर-एसी रेस्तरां में खाने पर 12 फीसद जीएसटी देना होता है। ऐसे में जीएसटी काउंसिल को अगर मंत्रिसमूह की सिफारिशें रास आती हैं तो एसी रेस्तरां में खाने पर भी जीएसटी की दर घटकर गैर-एसी के बराबर हो जाएगी।
असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता वाले इस मंत्रिसमूह की शुक्रवार को नई दिल्ली में हुई पहली बैठक में इस अहम मुद्दे पर आम सहमति बनी। समूह की बैठक में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री अमर अग्रवाल, पंजाब के मनप्रीत बादल और जम्मू-कश्मीर के वित्त मंत्री हसीब द्राबू भी मौजूद रहे। छह अक्टूबर को जीएसटी काउंसिल की 22वीं बैठक में यह समूह गठित करने का फैसला किया गया था। काउंसिल ने इस समूह को दो हफ्ते के भीतर अपनी सिफारिशें सौंपने को कहा है।
सूत्रों के मुताबिक मंत्रिसमूह अपनी सिफारिशें जीएसटी काउंसिल की 10 नवंबर को गुवाहाटी में होने वाली बैठक में पेश करेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में सभी सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी मौजूद रहेंगे। जीएसटी के संबंध में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था काउंसिल ही है। इसलिए रेस्तरां में खाने पर जीएसटी की दर घटाने के बारे में भी अंतिम निर्णय काउंसिल का होगा। दरअसल एक जुलाई से देश में जीएसटी लागू होने से पहले रेस्तरां में खाने पर छह प्रतिशत सेवा कर तथा अलग-अलग राज्यों में पांच से लेकर 15 फीसद वैट लगता था। यही वजह थी कि जीएसटी काउंसिल ने एसी रेस्तरां में खाने पर जीएसटी की दर 18 प्रतिशत करने का निर्णय किया था। हालांकि जब से यह निर्णय किया गया तब से मध्यम वर्ग में खासी नाराजगी थी।
सूत्रों के मुताबिक मुताबिक मंत्रिसमूह की बैठक में इस पर भी सहमति बनी है कि कंपोजीशन स्कीम के दायरे में आने वाले व्यापारियों के सालाना एक करोड़ रुपये के टर्नओवर की गणना करते समय में उसमें उन वस्तुओं की बिक्री को नहीं जोड़ा जाए, जिनको जीएसटी से छूट प्राप्त है। यह किस तरह किया जाएगा, इस बारे में अभी कोई तरीका तय नहीं किया गया है। बहरहाल इतना तय है कि ऐसा होने पर बड़ी संख्या में छोटे व्यापारियों को राहत मिलेगी।