नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के पहले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान राष्ट्र को समर्पित करते हुए कहा कि सरकार देश के हर जिले में आयुर्वेद से जुड़े अस्पताल शुरू करने पर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि आयुर्वेद विशेषज्ञों को ऐसी दवाएं खोजने की जरूरत है जो मरीजों को तत्काल राहत प्रदान करने के साथ उन्हें दवाओं के दुष्प्रभावों को दूर रखें। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं निजी क्षेत्र से भी अनुरोध करूंगा कि वे कारपोरेट सामाजिक दायित्व :सीएसआर: के तहत कोष के एक हिस्से का इस्तेमाल आयुर्वेद को मजबूत बनाने में करें, आयुर्वेद से संबंधित संस्थाएं खोलने में करें।
द्वितीय आर्युवेद दिवस पर नई दिल्ली के सरिता विहार एआईआईए राष्ट्र को समर्पित करते हुए मोदी ने कहा, कोई भी देश विकास की कितनी ही चेष्टा करे, कितना ही प्रयत्न करे, लेकिन वो तब तक आगे नहीं बढ़ सकता, जब तक वो अपने इतिहास, अपनी विरासत पर गर्व करना नहीं जानता। अपनी विरासत को छोड़कर आगे बढ़ने वाले देशों की पहचान खत्म होनी तय होती है। उन्होंने कहा कि गुलामी के दौर में हमारी ऋषि परंपरा, हमारे आचार्य, किसान, हमारे वैज्ञानिक ज्ञान, हमारे योग, हमारे आयुर्वेद, इन सभी की शक्ति का उपहास उड़ाया गया, उसे कमजोर करने की कोशिश हुई और यहां तक की उन शक्तियों पर हमारे ही लोगों के बीच आस्था कम करने का प्रयास भी हुआ। आजादी के बाद उम्मीद थी कि जो बची है, उसे संरक्षित किया जायेगा, आगे बढ़ाया जायेगा, लेकिन जो बचा था, उसे उसके हाल पर छोड़ दिया गया। इसके कारण हमारी दादी मां के नुस्खों को दूसरे देशों ने पेंटेट करा लिया।
पीएम मोदी ने कहा कि आज मुझे गर्व है कि पिछले तीन वर्षों में इस स्थिति को काफी हद तक बदल दिया गया है। जो हमारी विरासत है, जो श्रेष्ठ है, उसकी प्रतिष्ठा जन-जन के मन में स्थापित हो रही है। देश के हर जिले में आयुर्वेद से जुड़ी अच्छी सुविधा से युक्त अस्पताल जरूरी है। इस दिशा में आयुष मंत्रालय तेजी से काम कर रहा है। पिछले तीन वर्षों में 65 से अधिक संस्थान शुरू हुए हैं। प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि जो लोग आज आयुर्वेद पढ़कर निकलते हैं क्या सच में 100 प्रतिशत लोग इसमें आस्था रखते हैं। कई बार ऐसा होता है कि मरीज जब जल्द ठीक होने पर जोर देते हैं, तब क्या आयुर्वेद के कुछ चिकित्सक उन्हें एलोपैथी की दवा दे देते हैं। आयुर्वेद की स्वीकार्यता की पहली शर्त यह है कि आयुर्वेद पढ़ने वालों की इस पद्धति में शत प्रतिशत आस्था हो, भरोसा हो।
उन्होंने कहा कि हमें उन क्षेत्रों के बारे में भी सोचना होगा जहां आयुर्वेद अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकता है। इसमें खेल एक प्रमुख क्षेत्र है, जहां बड़े बड़े खिलाड़ी अपने लिये फिजियोथेरापिस्ट रखते हैं और कई बार उन दवाओं के कारण परेशान भी होते हैं। आयुर्वेदथेरापी खेल के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सेना के जवानों के स्वास्थ्य और मानसिक एकाग्रता एवं तनावमुक्त बनाने के क्षेत्र में भी आयुर्वेद की अहम भूमिका हो सकती है। पीएम मोदी ने कहा, आयुर्वेद विशेषज्ञों को ऐसी दवाएं खोजने की जरूरत है, जो मरीजों को तत्काल राहत प्रदान करने के साथ दवाओं के दुष्प्रभावों को दूर रखें। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें आयुर्वेद शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान देने की जरूरत है। आयुर्वेद के कोर्स पर फिर से ध्यान देने की जरूरत है। हम इस बात पर भी विचार करें कि बीएएमएस के पांच साल के कोर्स में ही वर्ष क्या हम छात्रों को कोई डिग्री प्रदान कर सकते हैं ? पीएम मोदी ने कहा कि मैं धन्वंतरि जंयती को आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने और इस संस्थान की स्थापना के लिए आयुष मंत्रालय को भी साधुवाद देता हूं। उन्होंने कहा कि आज जब हम सभी आयुर्वेद दिवस पर एकत्रित हुए हैं, या जब 21 जून को लाखों की संख्या में बाहर निकलकर योग दिवस मनाते हैं, तो अपनी विरासत के इसी गर्व से भरे होते हैं। जब अलग-अलग देशों में उस दिन लाखों लोग योग करते हैं, तो लगता है कि लाखों लोगों को जोड़ने वाला ये योग भारत ने दिया है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं है। इसके दायरे में सामाजिक स्वास्थ्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण स्वास्थ्य जैसे अनेक विषय भी आते हैं। इसी आवश्यकता को समझते हुए ये सरकार आयुर्वेद, योग और अन्य आयुष पद्धतियों के सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के साथ समन्वय पर जोर दे रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर्बल दवाइयों का आज विश्व में एक बड़ा मार्केट तैयार हो रहा है। भारत को इसमें भी अपनी पूर्ण क्षमताओं का इस्तेमाल करना होगा। हर्बल और औषधीय पौधे कमाई का बहुत बड़ा माध्यम बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को स्वीकृति दी है। स्वास्थ्य सेवा में एफडीआई का फायदा आयुर्वेद और योग को कैसे मिले, इस बारे में भी प्रयास किए जाने चाहिए। सभी तरह की स्वास्थ्य प्रणाली को आगे बढ़ाने के पीछे सरकार का ध्येय है कि गरीबों को सस्ते से सस्ता इलाज उपलब्ध हो। इस वजह से स्वास्थ्य क्षेत्र में हमारा जोर दो प्रमुख चीजों पर लगातार रहा है – पहला रोकथाम संबंधी स्वास्थ्य सेवा और दूसरा ये कि स्वास्थ्य क्षेत्र में वहनीयता और पहुंच बढ़े।