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महाराष्ट्र, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में पेट्रोल-डीजल हुआ सस्ता

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिवाली से पहले महाराष्ट्र, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के लोगों को बड़ी राहत मिली है। इन राज्य सरकारों ने मंगलवार को पेट्रोल व डीजल पर वैट में कटौती की घोषणा की। इस कदम के बाद इन राज्यों में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में तीन रुपये तक की गिरावट आई है।

देश में अभी 18 राज्यों में राजग की सरकारें हैं। इनमें से अभी मात्र दो ने वैट घटाया है, केंद्र ने सभी राज्यों से कर घटाने को कहा था। उधर, मध्य प्रदेश की सरकार ने भी संकेत दिये हैं कि वह पेट्रोल व डीजल वैट पांच फीसद तक कम कर सकती है। इससे वहां पेट्रोल-डीजल 2.40 से 2.75 प्रति लीटर तक सस्ते हो सकते हैं।

महाराष्ट्र के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने पेट्रोल-डीजल पर वैट में कटौती की घोषणा की। उन्होंने इसे राज्य के लोगों के लिए सरकार की ओर से दिवाली का उपहार बताया। राज्य सरकार ने पेट्रोल पर वैट में दो रुपये और डीजल पर एक रुपये प्रति लीटर की कटौती का एलान किया है। कटौती मंगलवार की आधी रात से ही प्रभावी हो गई। मुनगंटीवार ने बताया कि इस कदम से राजकोष पर 2,000 करोड़ रुपये सालाना का भार पड़ेगा।

महाराष्ट्र के नक्शेकदम पर चलते हुए गुजरात में भी पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाया गया है। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने वैट में चार फीसद की कमी का एलान किया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश के बाद वैट में कटौती की जा रही है जो मंगलवार की आधी रात से प्रभावी की गई है। इस कटौती के बाद गुजरात में पेट्रोल की कीमत में 2.93 रुपये और डीजल में 2.72 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है। अब यहां पेट्रोल की प्रभावी दर 66.53 रुपये और डीजल की 60.77 रुपये प्रति लीटर हो गई है। इस फैसले से राजकोष पर 2,316 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा।

हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी पेट्रोल-डीजल पर वैट में कटौती की है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पेट्रोल-डीजल पर वैट में एक फीसद की कमी का एलान किया गया।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमत में बढ़ोतरी होने के कारण पेट्रोल व डीजल की कीमत काफी बढ़ चुकी है। ऐसे में ग्राहकों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले दिनों उत्पाद शुल्क कम करके राज्यों से वैट में कटौती करने को कहा था ताकि उपभोक्ताओं को और राहत मिल सके। लंबे समय से हो रहे विरोध और पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाए जाने की मांग की जा रही है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत कर चुके हैं।

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