कालेधन को सफेद बनाने की कोशिश में बड़ा खुलासा हुआ है। 13 बैंकों ने कुछ संदिग्ध लेन-देन की जानकारी केंद्र सरकार को दी है। फर्जी कंपनियों के जरिए कालेधन को सफेद बनाने की कोशिश होती थी, जिसके बाद 2 लाख से ज्यादा कंपनियों पर रोक लगा दी है। बैंकों की ओर से 5800 फर्जी कंपनियों की लेन-देन की डिटेल्स जारी की गई हैं। ये कंपनियां मनी लॉन्ड्रिंग और कालेधन को सफेद करने की गतिविधियों में शामिल थी।
खुलासे में पता लगा है कि कई कंपनियों के 100-100 खाते थे। कुल 2,09,032 कंपनियों पर संदिग्ध गतिविधि की जानकारी के बाद रोक लगा दी गई है। इनमें से एक कंपनी के लगभग 2134 खाते थे। नोटबंदी के बाद इन फर्जी कंपनियों ने करीब 4573.87 करोड़ रुपए की लेन-देन की थी।
सरकार ले रही है एक्शन
गौरतलब है कि मोदी सरकार शेल कंपनियों पर लगातार शिकंजा कस रही है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि वह शेल कंपनियों से संबंध रखने वाले 4.5 लाख डायरेक्टर्स को अयोग्य करार दे सकती है। केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी ने कहा है कि कालेधन के खिलाफ सरकार की लड़ाई जारी रहेगी।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि वैध कंपनियों को इस प्रक्रिया से कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि जो कंपनियां नियमों के विरुद्ध काम कर रही हैं,उनकी वजह से ही अन्य कंपनियों को परेशानी पेश आ रही है।
चौधरी ने एक इंटरव्यू में कहा कि सभी अयोग्य करार दिए गए डायरेक्टर्स की प्रोफाइल की जांच की जाएगी। केंद्र सरकार इससे पहले सितंबर महीने में 2.17 लाख से भी ज्यादा कंपनियों के नाम रिकॉर्ड से हटा चुकी है। यह वे कंपनियां थीं, जो पिछले काफी समय से कारोबार नहीं कर रही थीं।