स्टॉकहोम
सूक्ष्म और ठंड से जमे हुए अणुओं की तस्वीर उतारने के लिए एक आसान और बेहतर पद्धति क्रायो- इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कॉपी विकसित करने को लेकर तीन वैज्ञानिकों जेक्स डबशेट, जोशीम फ्रैंक और रिचर्ड हेंडरसन को रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन वैज्ञानिकों की टीम की नई पद्धति से शोधकर्ता अब नियमित रूप से बायॉ-मोलेक्युल का त्रिआयामी (3डी) ढांचा बना सकते हैं।
बायॉ – मोलेक्युल जीवों के संभरण और उपापचय प्रक्रिया में शामिल होता है। इस पद्धति में कोशिकाओं के हिस्सों की तस्वीर उतारने के लिए इलेक्ट्रॉन बीम इस्तेमाल की गई। नोबेल कमेटी ने कहा कि शोधकर्ता अब बीच में ही बायॉ-मोलेक्युल को जमा सकते हैं और प्रक्रिया को दृश्य रूप दे सकते हैं जो वे पहले कभी नहीं कर सकते थे। यह चीज जीवन को समझने और दवाइयों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
यह पद्धति बायो-मोलेक्युल को प्राकृतिक अवस्था में जमी हुई अवस्था (ठंड से) में रखने में मदद करेगा। कोशिका के ढांचों, विषाणुओं और प्रोटीन के सूक्ष्मतम ब्योरे का अध्ययन करने में इसका इस्तेमाल किया गया। कमेटी ने कहा कि शोधकर्ताओं को जब संदेह हुआ कि जीका विषाणु ब्राजील में नवजात शिशुओं के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा कर महामारी फैला रहा है तब उन्होंने विषाणु को चित्रात्मक रूप देने के लिए क्रायो इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी का रुख किया। पुरस्कार के तौर पर 11 लाख डॉलर दिया जाएगा।