रांची/ एजेंसी। झारखंड सरकार के एक हजार दिन के कार्यक्रमों का सिलसिला खत्म होने और त्योहारों की छुट्टियां बीतने के बाद अब प्रदेश भाजपा के समक्ष राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा सौंपे गए टास्क पर खरा उतरने की चुनौती है। सितंबर में अपने तीन दिनों के प्रवास के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मिशन 2019 को लेकर सरकार के मंत्रियों-विधायकों से लेकर पार्टी की सभी इकाइयों को तमाम टास्क सौंपे थे। तयशुदा टास्क की बात करें तो भाजपा के सभी विधायकों को अपने विधायक मद की 30 फीसद राशि अनुसूचित जाति और जनजाति क्षेत्रों के लिए खर्च करनी होगी। इस मामले में अब तक का ट्रैक रिकार्ड कुछ खास अच्छा नहीं रहा है।
वहीं, मंत्रियों को सप्ताह में दो बार कार्यकर्ता दरबार लगाना होगा। कार्यकर्ता दरबार पहले भी मंत्रियों के स्तर से लगाया जाता था लेकिन यह कड़ी कई बार टूट चुकी है। कार्यकर्ता दरबार शुरू करने को लेकर फिलहाल कोई सुगबुगाहट नहीं है। संगठन के स्तर पर प्राथमिक सदस्यों के सत्यापन के कार्यो को तेजी से अंजाम देने का टास्क प्रदेश भाजपा को सौंपा गया है। शाह की समीक्षा बैठक के दौरान यह सामने आया था कि राज्यभर में भाजपा के 42 लाख प्राथमिक सदस्य बनाए गए हैं इनमें से सत्यापन महज 22 लाख का ही हुआ है।
शाह ने बूथ स्तर पर 10 नए सदस्यों को बनाने का टास्क भी सौंपा था। स्मार्ट फोन रखने वाले कार्यकतार्ओं की भी अलग से सूची तैयार करने की बात भी कही गई है ताकि संगठन की जुड़ी योजनाओं और कार्यो को कार्यकतार्ओं के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जा सके। जातीय समीकरण के अनुसार लोगों को जोड़ने और बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने की जवाबदेही भी पार्टी की सभी इकाइयों को सौंपी गई है। फिलहाल इनमें से कोई भी कार्य शुरू नहीं किया गया है।