रांची/ एजेंसी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर राज्य सरकार ने 20,051 शहरी परिवारों को प्रधानमंत्री आवास का तोहफा दिया। रांची के हरमू मैदान में सोमवार को आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मंत्रोच्चार के बीच सांकेतिक तौर पर 11 परिवारों का गृह प्रवेश कराया। इस बीच, उन्होंने दावा किया कि 2020 तक राज्य का कोई भी परिवार बेघर नहीं रहेगा। इससे इतर 2022 तक राज्य में कोई गरीब भी नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री ने इस दौरान राज्य के सभी शहरी क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) होने की घोषणा भी की। उन्होंने कहा कि गुजरात और आंध्र प्रदेश के बाद झारखंड इस मामले में तीसरे पायदान पर है।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दिए जाने वाले आवासों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम से हो। पुरुषों के नाम से इसकी रजिस्ट्री नहीं कराई जाए। अगर लाभांवित परिवार चाहे तो पति-पत्नी दोनों के नाम से संयुक्त रजिस्ट्री कराई जा सकती है। इस बीच, उन्होंने अधिकारियों को आवास के साथ ही अधिकतम एक महीने के अंदर बिजली, पानी और एलपीजी की सुविधा भी लाभांवित परिवारों को मुहैया कराने का निर्देश दिया। उन्होंने अधिकारियों को चेताया कि पीएमएवाई के तहत भ्रष्टाचार की किसी भी स्तर पर शिकायत नहीं मिलनी चाहिए। इससे पूर्व सीएम ने समारोह में मौजूद जनसमूह को स्वच्छता की शपथ भी दिलाई। साथ ही पांच स्वच्छता मित्र व पांच प्रगतिशील नागरिक को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि स्वच्छता आज आंदोलन का रूप ले चुका है। गरीबी और शोषणमुक्त देश की परिकल्पना के साथ ही बापू का सपना स्वच्छ भारत का भी था।
समेकित सोच से यह सपना साकार होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद की जयंती पर सरकार कौशल विकास का प्रशिक्षण ले चुके 25 हजार युवकों को रोजगार मुहैया कराएगी। राज्य में पीएमएवाई और स्वच्छता की स्थिति प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) की बात करें तो सरकार ने राज्य के 41 स्थानीय शहरी निकायों में 91,241 आवास बनाने का लक्ष्य रखा है। इनमें से 20,051 आवास तैयार हो चुके हैं, 45,152 निमार्णाधीन हैं। कोल्हान प्रमंडल में 1760, उत्तरी छोटानागपुर में 6496, पलामू में 1398, संताल परगना में 4121 तथा दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल में 6276 आवास बन चुके हैं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरों को ओडीएफ करने की कड़ी में सरकार ने 2,08,543 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण कराया है। इस मामले में झारखंड गुजरात और आंध्र प्रदेश के बाद तीसरे पायदान पर है।
2022 तक झारखंड में नहीं दिखेगी एक भी स्लम बस्ती मुख्यमंत्री ने कहा कि पैसे वाले स्लम बस्तियों से घृणा करते हैं। पलायन की वजह से लोग शहर की ओर पलायन करते हैं। ऐसे लोग स्लम में रहते हैं। इन बस्तियों में वैसे गरीब परिवार रहते हैं, जिनकी हर जगह जरूरत है। घरों में झाडू-पोछा लगाने वालों से लेकर रिक्शा खींचने वाले इन्हीं बस्तियों के होते हैं। अगर वे नहीं होंगे तो कल-कारखाने नहीं चलेंगे। उन्होंने दावा किया कि 2022 तक राज्य में एक भी स्लम बस्ती नहीं दिखेंगी। सरकार पीपीपी मोड पर इन्हें आवास मुहैया कराएगी।