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महंगाई की वजह से आरबीआई की ब्याज दरों में बदलाव के आसार नहीं

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बुधवार (4 अक्टूबर) को होने वाली मौद्रिक नीतिगत समीक्षा बैठक में मुख्य ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने की संभावना है। आरबीआई अगस्त महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर में वृद्धि की वजह से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं कर सकती। आरबीआई ने पिछली द्वैमासिक समीक्षा बैठक में रेपो दर में 25 आधार अंकों की कटौती की थी। सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी रिपोर्ट ‘आरबीआई कॉट इन ए ब्लाइंड : एक्सपेक्ट स्टेटस क्वो आॅन अक्टूबर 4’ में कहा है कि आरबीआई को ब्याज दरों में कटौती पर मुश्किल फैसला लेना पड़ सकता है।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर तीन साल के निचले स्तर 5।7 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं खुदरा मुद्रास्फीति तय लक्ष्य के दायरे में बनी हुई है। ऐसे में रेपो दर में कटौती की मांग उठ रही है। अगस्त की मौद्रिक समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को चौथाई प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था। अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति 3।36 प्रतिशत पर रही थी। केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है। इससे पहले 7 जून (बुधवार) को रिजर्व बैंक ने राज्यों के कृषि ऋण माफी के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने के जोखिम का हवाला देते हुए प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।

हालांकि उसने बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ाने को लेकर सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में 0।5 प्रतिशत की कटौती की थी, ताकि आर्थिक वृद्धि को गति दी जा सके। एसएलआर बैंकों के पास जमा लोगों की जमा राशि की वह न्यूनतम सीमा है जिसे उन्हें सरकारी आसानी से खरीदी बेची जा सकने वाली सरकारी प्रतिभूतियों के रूप में रखना होता है। वहीं रिवर्स रेपो को 6 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया था। रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक बैंकों को अल्पावधि कर्ज देता जबकि रिवर्स रेपो के अंतर्गत आरबीआई बैंकों से अतिरिक्त नकदी लेता है।

केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा में सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) 0।5 प्रतिशत घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया था। साथ ही रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को भी 7।4 प्रतिशत से घटाकर 7।3 प्रतिशत कर दिया था। मुद्रास्फीति में वृद्धि के रुख के चलते भारतीय रिजर्व बैंक की अगले हफ्ते होने वाली अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में किसी तरह के बदलाव की संभावना नहीं है। मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि केंद्रीय बैंक के नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने की उम्मीद है जबकि वह अपनी तटस्थ मौद्रिक नीति पर कायम रहेगा। अगस्त में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति जोखिम में कमी का उदाहरण देते हुए रेपो दर में 0।25% की कटौती कर इसे 6% किया था। यह पिछले 10 महीनों में की गई पहली कटौती थी और इससे नीतिगत दर सात साल के निचले स्तर पर आ गई थी।

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