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वैश्विक बाजार पूंजीकरण में देसी हिस्सा घटा

वैश्विक बाजार पूंजीकरण में भारत की हिस्सेदारी घटकर सात महीने के निचले स्तर 2.45 फीसदी पर आ गई है। सितंबर की शुरूआत से अब तक वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 20 आधार अंक से ज्यादा फिसली है, जो अन्य वैश्विक इक्विटीज के मुकाबले भारतीय बाजार के सुस्त प्रदर्शन का संकेत दे रहा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की तरफ से 1.1 अरब डॉलर की बिकवाली के बीच बेंचमार्क निफ्टी इस महीने डॉलर के लिहाज से करीब पांच फीसदी टूटा है।

मई में सर्वोच्च स्तर पर भारत की हिस्सेदारी वैश्विक बाजार पूंजीकरण में 2.7 फीसदी रही थी।अमेरिका व उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते तनाव से उभरते बाजारों की तेजी पर ब्रेक लग गया है। हालांकि देसी आर्थिक रफ़्तार की चिंताओं से भारतीय बाजार में ज्यादा गिरावट आई है। विश्लेषकों ने कहा, इस वित्त की शुरूआत से अब तक भारतीय बाजार में तीव्र बढ़ोतरी दर्ज हुई है जबकि आर्थिक विकास की रफ़्तार, कंपनियों की आय व अन्य फंडामेंटल सुस्त रही है। इस वजह से मूल्यांकन में इजाफा हुआ है। ऐंबिट कैपिटल के मुख्य कार्याधिकारी सौरभ मुखर्जी ने कहा, महंगे मूल्यांकन और कमजोर आर्थिक फंडामेंटल से भारतीय बाजार में गिरावट आई है।

पिछले कुछ महीनों से एफपीआई भारत में अपने निवेश को लेकर घबराए हुए हैं और ऐसे में अपना निवेश घटा रहे हैं। वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से मात्रात्मक सहजता की नीति समाप्त हो रही है, जिसके चलते विभिन्न उभरते बाजारों में काफी ज्यादा निवेश देखने को मिला था। सबसे अच्छा प्रदर्शन वाला तमगा गंवाया मौजूदा समय में जारी गिरावट से भारतीय बाजार ने साल 2017 में सबसे अच्छे प्रदर्शन वाले वैश्विक बाजार का तमगा गंवा दिया है। अभी बेंचमार्क निफ्टी डॉलर के लिहाज से 25.3 फीसदी ऊपर है।

अगस्त तक निफ्टी वैश्विक इक्विटी सूचकांकों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला था। हालांकि अब इसे इटली, मैक्सिको और ब्राजील ने पीछे छोड़ दिया है। बाजार के भागीदारों ने कहा, भारतीय बाजार पर दबाव बना रह सकता है और इसकी वजह कई देसी विदेशी कारक हैं। अर्थव्यवस्था की वित्तीय सेहत में और गिरावट और सितंबर तिमाही में आय के मोर्चे पर निराशा भारतीय बाजार के लिए सबसे बड़े अवरोध होंगे। हालांकि आय में सुधार अभी दो-तीन तिमाही दूर है क्योंकि भारतीय कंपनी जगत अभी जीएसटी के असर से जूझ रहा है।

दबाव वाली संपत्तियां भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर असर डालना जारी रखे हुए है, खास तौर से सरकारी बैंकों पर। भारतीय बाजार के लिए बैंकिंग उद्योग का प्रदर्शन महत्वपूर्ण है क्योंकि बेंचमार्क सूचकांकों में भारांक के लिहाज से यह इकलौता सबसे बड़ा क्षेत्र है। हाल के समय में भारतीय बाजार के लिए सबसे बड़ा अवरोध रुपये का मजबूत प्रदर्शन रहा है। हालांकि विदेशी फंड रकम की निकासी कर रहे हैं और देश के राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी से फायदा समाप्त होता दिख रहा है। बीएनपी पारिबा के इक्विटी रणनीतिकार (एशिया प्रशांत) मनीषी रायचौधरी के मुताबिक, एशिया व उभरते बाजारों में उपभोग मजबूत रहा है, जो आर्थिक मोर्चे पर संभावित सुधार का संकेत दे रहा है।

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