रांची/ एजेंसी।
बाघ और गजराज को झारखंड की आबोहवा भा रही है। इसी का नतीजा है कि पलामू स्थित बेतला नेशनल पार्क में बाघों और हाथियों की संख्या बढ़ रही है। वर्ष 2014 में यहां बाघों की संख्या चार थी जो 2017 में बढ़कर छह हो गई है। इसी अवधि में यहां हाथियों की संख्या लगभग 150 से बढ़कर 186 हो गई है। इसकी पुष्टि पलामू व्याघ्र परियोजना के निदेशक एमपी सिंह ने की है। पार्क में बाघों-हाथियों की संख्या में वृद्धि होने की पुष्टि स्कैट वाइल्ड लाइफ नामक संस्था ने भी की है। यह सरकारी संस्था डीएनए टेस्ट के जरिए यहां बाघ-हाथियों की गणना करती है। वन्य जीवों की संख्या में बढ़ोतरी का ही असर है कि यहां आने वाले सैलानियों की संख्या भी काफी बढ़ गई है। जानवरों की बढ़ती संख्या को देखते हुए वन विभाग अब पार्क के आसपास बसे लोगों को वहां से हटाकर अन्यत्र बसाने का प्रयास कर रहा है, ताकि मानव व वन्य जीव दोनों ही सुरक्षित रह सकें। भोजन के लिए सांभरों को भी बसाने जा रहा वन विभाग पार्क के अंदर अन्य वन्य प्राणियों को भी बसाना चाहता है।
डीएफओ अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि देश के विभिन्न भागों जहां सांभर (हिरण की प्रजाति) की संख्या अधिक है वहां से सांभरों को यहां लाकर छोड़ा गया है, ताकि पार्क के अंदर बाघों के लिए प्राकृतिक वातावरण एवं भोजन-पानी उपलब्ध हो सके। वन विभाग पार्क के अंदर विशेष प्रकार की घास लगा रहा है ताकि यहां की खुरदरी एवं पथरीली जमीन से बाघों के पंजे जख्मी न हो सकें। इसके अलावा हाथियों के लिए भी यहां हरियाली बढ़ाई जा रही है। पार्क में जानवरों के लिए पीने-नहाने के पानी की कमी न हो इसके लिए अंदर बने तालाबों तक पाइपलाइन बिछाई गई है, ताकि जलस्तर घटते ही तालाबों को भरा जा सके।
नक्सलियों का है खतरा
बाघ-हाथी की संख्या बढ़ने के बावजूद बेतला नेशनल पार्क पर नक्सलियों का खतरा भी मंडरा रहा है। गौरतलब है कि इसी माह यहां एक हाथी की मौत बम विस्फोट में हो चुकी है। बम नक्सलियों द्वारा लगाया गया था। एक गाइड की भी हत्या यहां इसी माह कर दी गई थी। इससे जहां वन्य जीवों की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हुआ है, वहीं यहां आने वाले सैलानियों पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है।