संयुक्त राष्ट्र: भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि गरीबी को दूर करना टिकाऊ विकास का पहला लक्ष्य है। अपने भाषण की शुरुआत करते हुए सुषमा ने कहा, ‘हमारे लिए यह गर्व और प्रसन्नता का विषय है कि हमें विदेश मंत्री के तौर पर आज इस उच्च आसन के लिए चुना गया है।’
इस एक वर्ष के अंतराल में संयुक्त राष्ट्र में और दुनिया में अनेक परिवर्तन हुए हैं। नए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रयासों का स्वागत करते हैं। आज का विश्व अनेक समस्याओं से ग्रस्त है। हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। आतंकी घटनाएं बढ़ रही हैं। जलवायु परिवर्तन मुंह बाए खड़ा है। बेरोजगारी से त्रस्त युवा अधीर हो रहा है। परमाणु प्रसार सिर उठा रहा है और साइबर सुरक्षा का भी खतरा मंडरा रहा है। 2015 में 2030 तक के लिए हमने लक्ष्य तय किया था जिसमें से दो वर्ष बीत गए हैं। हमें अगर लक्ष्य को पाना है तो हमें कठोर निर्णय लेने होंगे। हमारी सभी योजनाएं गरीबों को शक्तिशाली बनाने के लिए हैं। मुद्रा योजना के तहत 70 फीसदी से ज्यादा कर्ज महिलाओं को दिया गया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि उज्जवला योजना के तहत गरीब महिलाओं को मुफ्त में गैस का सिलिंडर दिया जा रहा है। 30 करोड़ लोगों को मिशन मोड से बैंक से जोड़ने का काम किया गया। जिनके पास पैसा नहीं था उनका जीरो बैलेंस से एकाउंट खोला गया। पाकिस्तान ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी। पाकिस्तान की पहचान दहशतगर्द मुल्क की बनी है। भारत की पहचान आईटी सुपर पावर की बनी। भारत की पहचान दुनिया भर में एक सुपरपावर के रूप में बनी है। पीएम मोदी ने शांति और दोस्ती की नीयत दिखाई। पाकिस्तान ने दहशतगर्द और जेहादी पैदा किए। हमने आईटी, आईआईएम बनाए, पाकिस्तान ने आतंकी ठिकाने बनाए।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इससे पहले शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। सुषमा ने टिलरसन से मुलाकात में आतंकवाद तथा एच1बी वीजा के मुद्दे को उठाया।
टिलरसन और सुषमा की पहली मुलाकात
दोनों नेताओं की यह पहली द्विपक्षीय मुलाकात थी। सुषमा और टिलरसन ने अमेरिका-भारत राजनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने पर भी चर्चा की। ट्रंप प्रशासन फिलहाल एच1 बी वीजा नीति की समीक्षा कर रहा है, क्योंकि उसका मानना है कि कंपनियां अमेरिकी श्रमिकों के स्थान पर अन्य श्रमिकों को लाने के लिए इस नीति का दुरुपयोग कर रही हैं।