प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुलेट ट्रेन उनके विरोधियों को रास नहीं आ रही है। मोदी ने गुरुवार को जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के साथ मिलकर बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की नींव रखी। उनका कहना है कि इस योजना से लोगों को सुविधा, सुरक्षा, रोजगार और स्पीड मिलेगी। मगर विरोधियों का मानना है कि गुजरात में चुनाव आने वाले हैं, इसलिए लोगों को लुभाने के लिए मोदी ने अब बुलेट ट्रेन का शिगूफा छेड़ दिया है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने कहा, ‘सबसे पहले अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की शुरुआत दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रीयल कॉरीडोर के तहत यूपीए सरकार ने की थी। बीजेपी सरकार बनने के साढ़े तीन साल तक किसी ने बुलेट ट्रेन का नाम नहीं लिया और अब जब गुजरात में चुनाव आने वाले हैं तो मोदी सरकार ने लोगों को लालच देना शुरू कर दिया। अगर बीजेपी कांग्रेस के इस प्रोजेक्ट का इस्तेमाल खाली चुनावी फायदे के लिए कर रही है तो इसका हश्र अहमदाबाद मेट्रो से भी बुरा होगा। अहमदाबाद मेट्रो को दस साल पहले ही हरी झंडी मिल गई थी, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई काम नहीं हो सका। वहीं जयपुर मेट्रो को अहमदाबाद के बाद में मंजूरी मिली थी, लेकिन वहां कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में मेट्रो का काम सफलतापूर्वक पूरा हो गया। इसके अलावा बीजेपी के सत्ता में आने के बाद से ट्रेन दुर्घटनाओं में कई गुना इजाफा हो गया है, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान क नहीं जाता।’ वहीं बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना को बुलेट ट्रेन का आइडिया पसंद नहीं आया। उसका मानना है कि भले ही मोदी के लिए यह ड्रीम प्रोजेक्ट हो सकता है, लेकिन आम आदमी का नहीं।