बीजिंग: चीन और पाकिस्तान की वायुसेना ने संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास शुरू किया। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के वायुसेना के प्रवक्ता, शेन जिंके ने कहा कि चीन ने जे-11 लड़ाकू विमान, जेएच-7 बमवर्षक, केजे-200 एडब्ल्यूएसीएस विमान और जमीनी बलों को इस अभ्यास में लगाया है। इसमें जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल और रडार सैनिक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि चीन की नौसेना के एविएटर भी इस प्रशिक्षण में भाग ले रहे हैं। शेन ने कहा कि पाकिस्तान ने इस अभ्यास के लिए जेएफ-17 थंडर लड़ाकू विमान, और अग्रिम चेतावनी विमान भेजे हैं। अभ्यास का नाम शाहीन-6 है। यह अभ्यास 27 सितंबर तक चलेगा।
चीन ने कहा, ‘अच्छे भाई’ पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ जंग में दी हैं कुर्बानियां
पाकिस्तान स्थित आंतकवादी समूहों की निंदा में ब्रिक्स सदस्यों का साथ देने के बाद चीन शुक्रवार (8 सितंबर) को अपने सदाबहार दोस्त की मान-मनुहार करता नजर आया। चीन ने कहा कि ‘अच्छे भाई व मजबूत दोस्त’ पाकिस्तान ने आतंकवाद का मुकाबला करने में अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। अपने पाकिस्तानी समकक्ष ख्वाजा आसिफ से मुलाकात के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, “चीन से बेहतर पाकिस्तान को कोई नहीं समझ सकता।” संवाददाता सम्मेलन में आसिफ के साथ मौजूद वांग यी ने कहा, “जब आतंकवाद से मुकाबले का मुद्दा आता है तो हम मानते हैं कि पाकिस्तान ने स्पष्ट तौर पर स्पष्ट ईमानदारी के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ दिया है। इसकी तुलना में कुछ देशों को पाकिस्तान को वह श्रेय देने की जरूरत है, जिसका वह हकदार है।” चीन ने आसिफ को शियामेन में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद आधिकारिक दौरे का निमंत्रण दिया था। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल पांच सदस्य देशों ने अपने संयुक्त घोषणा पत्र में पाकिस्तान स्थित भारत विरोधी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए मोहम्मद को नामित किया था। इस कदम को भारत की जीत के तौर पर देखा गया, जिससे कुछ चीनी जानकारों ने चिंता जताई कि इससे चीन व पाकिस्तान के संबंधों में तनाव आ सकता है।
पाकिस्तान-अफगानिस्तान को करीब लाने की कोशिश में ड्रैगन
चीन ने शुक्रवार (8 सितंबर) को कहा कि वह अफगानिस्तान में 16 साल पुराने संकट को हल करने के प्रयासों में पाकिस्तान और काबुल को साथ लाने के लिए ‘रचनात्मक भूमिका’ निभाएगा। बीजिंग के इस नए कदम को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तालिबान और पाकिस्तान के खिलाफ सख्त नीति का मुकाबला करने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। चीन की नयी अफगानिस्तान नीति को सामने रखते हुए चीनी विदेश मंत्री वांग यी और उनके पाकिस्तानी समकक्ष ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कहा कि इस्लामाबाद और काबुल को साथ लाने में बीजिंग ‘रचनात्मक भूमिका’ निभाएगा। आसिफ ने वांग के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘इस्लामाबाद और काबुल को साथ लाने और अफगान समस्या का राजनीतिक समाधान करने में चीन की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। इस कदम का सहयोग करने के लिए पाकिस्तान पहले ही कदम उठा चुका है और हम काबुल के साथ संबंध सुधारने के लिए कदम उठाना जारी रखेंगे।