बिहार राजनीति

शरद के खिलाफ चुनाव आयोग गया JDU

पटना । जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को अपने बागी शरद यादव के खिलाफ चुनाव आयोग से मिला। पार्टी ने चुनाव आयोग में शरद के पार्टी सिंबल पर दावे को चुनौती दी। इसके पहले जदयू राज्‍यसभा के सभापति से शरद की सदस्‍यता समाप्‍त करने का आग्रह कर चुका है। दरअसल, पार्टी लाइन के खिलाफ खुलकर चल रहे शरद के खिलाफ पार्टी सीधी कार्रवाई से बच रही है। जदयू चाहता है कि शरद पार्टी पर दावा छोड़ते हुए पार्टी से खुद अलग हो जाएं। साथ ही राज्‍यसभा के सभापति उनकी सदस्‍यता समाप्‍त कर दें। पार्टी न तो शरद को निकाल पा रही है, न ही उन्हें साथ रख पा रही है।

चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग
जदयू ने शुक्रवार को चुनाव आयोग से मिलकर शरद के उस दावे को चुनौती दी, जिसमें उन्‍होंने पार्टी पर अपना दावा ठोका है। शरद ने जदयू के अपने गुट को ‘असली’ बताते हुए पार्टी सिंबल पर दावा किया है। जदयू की ओर से ललन सिंह, आरपीसी सिंह, संजय झा और केसी त्यागी ने आयोग के समक्ष पार्टी का पक्ष रखा।

राज्‍यसभा के सभापति से लगाई गुहार
इसके पहले राज्यसभा में जदयू संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह और महासचिव संजय झा ने राज्‍यसभा के सभापति व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात कर शरद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। जदयू की मांग है कि राज्यसभा के सभापति असपे स्‍तर से शरद की सदस्यता खत्म कर दें। पार्टी का दावा है कि शरद पार्टी के निर्दैर्शों की अवहेलना कर स्‍वत: दल त्‍याग कर चुके हैं, इसलिए दलबदल कानून के दायरे में आते हैं। संविधान की 10वीं अनुसूची में सदन के बाहर के आचरण पर भी सदस्यता जाने का प्रावधान है। इससे पहले भाजपा ने अपने राज्यसभा सदस्य जय नारायण निषाद और जदयू ने उपेंद्र कुशवाहा की सदस्यता रद करवाई थी। इसी आधार पर जदयू शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने के लिए कोशिश कर रहा है।

स्‍वत: दल त्‍याग का यह है तर्क
सवाल यह है कि क्‍या शरद ने दल त्‍याग किया है? जदयू महासचिव केसी त्‍यागी कहते हैं कि शरद यादव पार्टी के निर्देशों के खिलाफ राजद की रैली में शामिल होकर स्‍वत: दल त्‍याग कर चुके हैं। लेकिन, शरद यादव ऐसा नहीं मानते। शरद पार्टी के अपने धड़े को असली जदयू बता रहे हैं।
सीधी कार्रवाई से बच रहा जदयू भी शरद के खिलाफ सीधे एक्शन लेने से हिचक रहा है। ऐसा कर वह शरद को शहीद करना नहीं चाहता। किसी सीधी कार्रवाई की स्थिति में शरद के पक्ष में पार्टी में सहानुभूति पैदा हो सकती है। दूसरी ओर शरद के बगावती तेवर कम होते नहीं दिख रहे। वे जदयू के अपने धड़ेे को असली जदयू करार देते हुए भाजपा विरोध का झंडा उठाए खड़े हैं।

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