नई दिल्ली। मुंबई के बारे में कहा जाता है कि ये शहर कभी रुकता नहीं है। लोग अपनी रफ्तार से चलते रहते हैं और मायानगरी भी उसी कदम ताल के साथ आगे बढ़ती रहती है। लेकिन 1993 का वो वर्ष एक ऐसा दर्द दे गया, जिसकी टीस देश के हर हिस्से के लोग समान रूप से महसूस करते हैं। 1993 मुंबई धमाकों का सबसे बड़ा असर औद्योगिक गतिविधियों पर पड़ा जब मुंबई से तमाम छोटे उद्योग और व्यापरियों ने मायानगरी को अलविदा कह दिया। 24 साल बाद धमाकों के पीड़ितों के जख्मों पर स्पेशल टाडा अदालत ने मरहम लगाने का काम किया था। अदालत ने ताहिर मर्चेंट और फिरोज राशिद खान को फांसी की सजा सुनाई है, जबकि अबू सलेम और करीमुल्लाह खान को आजीवन कारावास और रियाज सिद्दीकी को 10 साल की सजा सुनाई गई है।
स्पेशल टाडा कोर्ट से दोषियों को सजा
अबू सलेम- उम्रकैद
करीमुल्लाह खान- उम्रकैद
फिरोज राशिद खान- फांसी की सजा
ताहिर मर्चेंट- फांसी की सजा
रियाज सिद्दीकी- 10 साल की सजा
कोर्ट में क्या हुआ
जिस दौरान जज सजा का ऐलान कर रहे थे, उस दौरान सलेम चुप खड़ा था। सजा का ऐलान होते ही अबू सलेम कोर्ट में बेंच पर बैठ गया । सजा का ऐलान होते ही करीमुल्लाह शेख की आंखों में आंसू आ गए। फैसला सुनाने के दौरान अदालत खचाखच भरी थी।
मुंबई धमाकों की पीड़ित की आपबीती
कीर्ति अजमेरा ने सुनाई आपबीती
इसी धमाके को अपने आंखों से देखने वाले और इन धमाकों को झेलने वाले कीर्ति अजमेरा ने अपनी आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि 1993 से लेकर अब तक वे 40 ऑपरेशन करा चुके हैं, अभी भी मेरी बॉडी में कई कांच के टुकड़े हैं। उन्होंने कहा कि सजा का ऐलान पिछले दो साल से टल रहा है, कोर्ट को सभी को समान सजा देनी चाहिए। वैसे भी अभी तक लगभग 25 साल हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि आज भी हमारे हालात को देखने वाला कोई नहीं है। लोग तभी सांत्वना देते हैं जब उनकी राजनीति का मतलब होता है। कीर्ति ने बताया कि कोर्ट को राज्य सरकार को इससे जुड़े बाकी मामलों को भी जल्दी निपटाना चाहिए और हमारी ओर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल हमारी मदद नहीं कर रहा है।
मुंबई धमाकों के सिलसिले में अबू सलेम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। पूरी दुनिया में गूगल ट्रेंड्स के अनुसार सबसे ज्यादा भारत में 100 अंक, यूएई में 76 अंक, ओमान, कतर और सऊदी अरब में 34, 27 और 24 अंकों के साथ इस कुख्यात शख्स को सर्च किया जा रहा है। अबू सलेम पर गुजरात से हथियार मुंबई ले जाने का आरोप था, जो सही साबित हुआ। सलेम ने अवैध रूप से हथियार रखने के आरोपी अभिनेता संजय दत्त को एके 56 राइफलें, 250 कारतूस और कुछ हथगोले 16 जनवरी 1993 को उनके आवास पर सौंपे थे। दो दिन बाद 18 जनवरी 1993 को सलेम और दो अन्य संजय दत्त के घर गए और वहां से दो राइफलें तथा कुछ गोलियां लेकर वापस आए थे। अबु सलेम पर भारत में दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं। सलेम इस वक्त नवी मुंबई के तलोजा जेल में है। उसे 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था। सलेम को 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन की हत्या के मामले में विशेष अदालत ने फरवरी 2015 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
अभिनेत्री के साथ पुर्तगाल में पकड़ा गया था सलेम
अबु सलेम को पुर्तगाल सरकार ने इस शर्त के साथ भारत को सौंपा था कि उसे किसी भी मामले में मौत की सजा नहीं दी जाएगी। सलेम को पुर्तगाल पुलिस ने जब गिरफ्तार किया था तो वह एक होटल में अपनी गर्लफ्रेंड बॉलीवुड एक्ट्रेस मोनिका बेदी के साथ था। उसने 1998 में दुबई में कार ट्रेडिंग का कारोबार शुरू किया। इसी बीच एक स्टेज शो के दौरान उसकी दोस्ती एक्ट्रेस मोनिका बेदी से हुई थी। दोनों का निकाह होने की बातें भी सामने आई थीं। हालांकि, मोनिका और सलेम ने कभी भी इन रिश्तों का इजहार नहीं किया। मोनिका बेदी को भोपाल में बने फर्जी पासपोर्ट मामले में गिरफ्तार किया गया था। उसका यह पासपोर्ट भोपाल में बना था।
दाऊद इब्राहिम अब भी फरार
मुंबई बम धमाकों में आरोपी मुस्तफा दोसा और अबू सलेम सहित रियाज सिद्दीकी, करिमुल्ला खान, फिरोज अब्दुल राशिद, ताहिर मर्चेंट, अब्दुल कयूम के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दर्ज कर टाडा कोर्ट में मामला चलाया था। इन धमाकों के बाद अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम, टाइगर मेमन, अबू सलेम, मुस्तफा दोसा को फरार घोषित किया था। 30 जुलाई, 2015 को मुंबई धमाकों के एक केस में याकूब मेमन को फांसी हुई थी। इन धमाकों के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहम को आज तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है।
अबू सलेम- आपराधिक साजिश का दोषी करार, साजिश और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का दोषी ।
मुस्तफा दोसा- षड़यंत्र, हत्या और आतंकी गतिविधियों के लिए दोषी करार। 2008 में दुबई से प्रत्यर्पण हुआ था। धमाके की साजिश और हथियार सप्लाई करने के लिए दोषी करार।
फिरोज अब्दुल राशिद खान- हत्या का दोषी करार, फिरोज पर दुबई में मीटिंग में शामिल होने का आरोप था। ताहिर मर्चेंट को भी टाडा अदालत ने दोषी माना है।
अब्दुल कय्यूम को अदालत ने सभी आरोपों से मुक्त कर दिया। और उसे निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया था।
रियाज सिद्दीकी को भी टाडा अदालत ने दोषी माना था। लेकिन साजिश के आरोप को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष साजिश के आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा।
टाडा अदालत ने सभी आरोपियों को देश के खिलाफ आक्रमण करने के आरोप से मुक्त कर दिया था।
इन सातों आरोपियों की सुनवाई मुख्य मामले से अलग कर दी गई थी क्योंकि उन्हें मुख्य सुनवाई खत्म होने के वक्त गिरफ्तार किया गया था।
257 लोगों की हुई थी मौत
1993 मुंबई धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 713 गंभीर रूप से घायल हुए थे और इससे 27 करोड़ रुपये की संपत्ति नष्ट हो गई थी। साल 2007 में पूरे हुए सुनवाई के पहले चरण में टाडा अदालत ने इस मामले में याकूब मेमन सहित सौ आरोपियों को दोषी ठहराया था जबकि 23 लोग बरी हुए थे।