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ओल्टमेंस की बरखास्तगी से खेल मंत्रालय नाराज

एशिया कप और कॉमनवेल्थ गेम्स से ठीक पहले डच कोच रोलैंट ओल्टमेंस की बरखास्तगी ने खेल मंत्रालय की त्योरियां चढ़ा दी हैं। मंत्रालय ने हॉकी इंडिया के इस कदम को गलत करार देते हुए जवाब देने के लिए तलब कर लिया है। मंत्रालय का कहना है कि इतने बड़े और महत्वपूर्ण टूर्नामेंटों से पहले विदेशी कोच को अचानक कैसे बरखास्त किया जा सकता है? मंत्रालय का मानना है कि ओलंपिक क्वालीफायर जकार्ता एशियाई खेल जैसे टूर्नामेंट की तैयारियों  के लिए इतने महत्वपूर्ण मौके पर नामी विदेशी कोच को ढूंढना आसान काम नहीं होगा।

खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ के पदभार ग्रहण करने के दौरान मंत्रालय के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि ओल्टमेंस का अनुबंध खेल मंत्रालय ने किया है। कोच को 15 हजार डॉलर प्रति माह का भारी भरकम वेतन भी मंत्रालय देता है, लेकिन ओल्टमेंस की बरखास्तगी करने से पहले हॉकी इंडिया ने एक बार भी मंत्रालय को भरोसे में लेने की जरूरत नहीं समझी। यह गलत है। हॉकी इंडिया के पदाधिकारियों को इस संबंध में जवाब देने के लिए बुलाया गया है। उन्हें यह भी बताया जाएगा कि ओल्टमेंस का मंत्रालय इस्तीफा स्वीकार नहीं करने जा रहा है। इससे पहले मंत्रालय अंडर-17 फुटबाल टीम के कोच निकोलाई एडम की बरखास्तगी पर नाराजगी जता चुका है। एआईएफएफ से कई दौर की बातचीत के बाद मंत्रालय एडम को हटाने के लिए तैयार हुआ था। सूत्र बताते हैं कि हॉकी इंडिया किसी भी कीमत पर ओल्टमेंस को रखने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि अगर मंत्रालय ओल्टमेंस का इस्तीफा स्वीकार नहीं करता है तो वह उसका उपयोग अपने लिए कर सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय टीम केलिए उनकी अब जरूरत नहीं है।

पूरी कमेटी थी ओल्टमेंस की बरखास्तगी के पक्ष में
हॉकी इंडिया की ओर से बुलाई गई मंथन बैठक में ओल्टमेंस की बरखास्तगी का सभी 33 सदस्यों ने समर्थन किया। इस बैठक में सरदार सिंह, पीआर श्रीजेश और कप्तान मनप्रीत सिंह तक शामिल थे, लेकिन ओल्टमेंस को किसी का समर्थन नहीं मिला। ज्यादातर का तर्क यह था कि डच कोच की रणनीति विरोधियों के लिए बेहद आसान और भांपने वाली है।

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