बिहार के नतीजों को फिलहाल किसी बड़े बदलाव की शुरुआत मानना शायद गलत होगा। तत्काल तो कुछ भी नहीं बदलने वाला। दिल्ली में पहले की ही तरह मजबूती से प्रधानमंत्री बने रहेंगे और बिहार की जनता ने तो यथास्थिति को ही चुनकर यह दे दिया है कि फिलहाल वह किसी नाटकीय बदलाव पर भरोसा नहीं कर रही। लेकिन के पक्ष में आया यह परिणाम बताता है कि देश की राजनीति में कुछ चीजों को बदलना ही पड़ेगा। बिहार के चुनावी नतीजों का पहला और सबसे बड़ा यही है कि चुनाव सिर्फ प्रचार के बुखार से नहीं जीते जाते। चुनावी तापमान को आप चाहे जितना भी बढ़ा लें लेकिन मतदाता वोट देते समय पूरी तरह संयत रहकर हर चीज को ठीक से मापते
त्वरित टिप्पणी: चुनाव सिर्फ प्रचार के बुखार से नहीं जीते जाते
