पटना : बिहार में हुए चारा घोटाले के मामले की जांच करने के बाद अब सृजन घोटाला भी सीबीआई के हवाले कर दिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए भागलपुर में हुए चर्चित हजार करोड़ के सृजन घोटाले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो से कराने की सिफारिश कि बात कही ।अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की और इस बैठक के बाद मुख्य सचिव अंजनी सिंह, गृह सचिव आमिर सुबहानी, डीजीपी पीके ठाकुर और अपराध इकाई के पुलिस महानिरीक्षक जीएस गंगवार को इस मामले में पत्र लिखकर सीबीआई जांच की सिफारिश का आदेश दिया।
आपको बताते चलें कि इस घोटाले को गुपचुप तरीके से बिहार के भागलपुर में अंजाम दिया जा रहा था। जिसमे जिला अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर के जरिए सरकारी खाते से अवैध पैसा निकालने का पर्दाफाश हुआ था ।जिसमें बैंक अधिकारी कर्मचारी के साथ सरकार के कई पदाधिकारी और कर्मचारी की संलिप्तता सामने आई। पुलिस के द्वारा अब तक इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। जिसमें बैंक अधिकारी के साथ साथ कई सरकारी कर्मचारी भी शामिल है। वही घोटाले की संचालिका और धंधे की मास्टरमाइंड मनोरमा देवी घोटाले के उजागर होने से पहले ही इस दुनिया को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए जा चुकी है। तो उसकी बहू और बेटे दोनों अब तक फरार हैं। जिनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है।
बिहार में जैसे ही हजार करोड़ के घोटाले का मामला सामने आया बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई। विपक्ष में बैठे नेता इस घोटाले को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री पर निशाना साध रहे थे तो पुलिस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही थी। इन सभी बातों को देखते हुए बिहार सरकार ने इस मामले कि जांच सीबीआई से कराने का फैसला लिया और पत्र लिखकर इसकी सिफारिश की। वही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सीजन घोटाले की जांच सीबीआई से कराने के फैसले को लेकर कई नेताओं ने इसका स्वागत किया। तो कई नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार के द्वारा इसका दुरुपयोग किया जाता है और इस तरह के आरोप कई बार लगाए जा चुके हैं कि सीबीआई बचाती है तो फंसाती भी है। इसलिए इस मामले की जांच पटना उच्च न्यायालय की निगरानी में CBI जांच होनी चाहिए।
आइए जानते हैं कैसे दिया गया हजार करोड़ के घोटाले को अंजाम…
बिहार के भागलपुर जिले के सबौर मे पापड़ बनाने वाली स्वयंसेवी संस्था सृजन महिला विकास सहयोग समिति के द्वारा सरकारी अधिकारियों और बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से बैंक खाते में हेर-फेर कर
एक बहुत बड़े घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था। जिसका खुलासा होने के बाद 1000 करोड़ अवैध निकासी का मामला सामने आया।स्वयंसेवी संस्था सृजन महिला विकास सहयोग समिति के बैंक अकाउंट में सरकारी योजनाओं के पैसे रखे जाते थे जिसका उपयोग संस्था की ओर से अपने व्यक्तिगत कामों में किया जाता था। वही पुलिस के द्वारा यह दावा किया जा रहा है कि अवैध निकासी का यह खेल पिछले पांच वर्षों से चल रहा था। वर्ष 2009 मे शुरू हुआ फर्जी निकासी का गोरखधंधा अब तक चल रहा था। हालांकि मामले का पर्दाफाश होने के बाद इसमे बैंक अधिकारी और सरकारी कर्मचारी के साथ साथ 10 से भी अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मामले की जांच पुलिस के अलावा आर्थिक अनुसंधान इकाई के अधिकारी कर रहे थे। जिसने कई नेता के साथ-साथ सफेदपोश लोगों की संलिप्तता की बात सामने आ रही है।