69वीं राष्ट्रीय स्कूली तीरंदाजी में झारखंड बना चैंपियन झारखंड की बेटियों का शानदार प्रदर्शन — कुल 10 पदक जीते, बालिका वर्ग में ओवरऑल चैंपियन
झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के नेतृत्व में 69वीं राष्ट्रीय स्कूली तीरंदाजी प्रतियोगिता में राज्य के खिलाड़ियों ने ऐतिहासिक सफलता दर्ज की है। झारखंड के बालक–बालिका खिलाड़ियों ने अद्भुत प्रदर्शन करते हुए कुल 10 पदक — 5 स्वर्ण, 4 रजत और 1 कांस्य — जीतकर पूरे देश में झारखंड का नाम रोशन किया।
यह प्रतियोगिता 19 से 21 नवंबर तक डॉ. आंबेडकर क्रीड़ा संकुल, बड़ा लालपुर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) में आयोजित हुई।
बेटियों का दमदार प्रदर्शन – बालिका वर्ग में ओवरऑल चैंपियन
कोच मैनेजर सुदीप कुमार और सौम्य श्री घटक के नेतृत्व में अंडर–14 टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। झारखंड की बालिका टीम ने 5 स्वर्ण पदक अपने नाम कर ओवरऑल चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया।
साथ ही, बालक व बालिका दोनों वर्गों में झारखंड ने फर्स्ट रनर–अप का खिताब प्राप्त किया।
राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी का संदेश
धीरसेन ए. सोरेंग ने खिलाड़ियों के प्रदर्शन को “असाधारण” बताते हुए कहा—
“झारखंड के खिलाड़ी कठिन परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के बीच भी अनुशासन, मेहनत और दृढ़ निश्चय के बल पर राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा सिद्ध कर रहे हैं। झारखंड की संस्कृति में तीरंदाजी परंपरा है, और आज हमारे बच्चों ने उसी परंपरा को कौशल के साथ जोड़कर देशभर में राज्य का परचम लहराया है।”
प्रतियोगिता के परिणाम
अंडर–14 बालिका वर्ग
स्वर्ण पदक
- बेबी कुमारी – 30 मी. इंडियन इंडिविजुअल
- बेबी कुमारी – 30 मी. इंडियन राउंड ओवरऑल
- खुशी कुमारी – 40 मी. रिकर्व इंडिविजुअल
- खुशी कुमारी, आराध्या पाठक, राधिका कुमारी, स्निग्धा सरकार – 40 मी. रिकर्व टीम
- सुनीता टूटी, बेबी कुमारी, अलमानी महतो, रचना टूटी – 30 मी. इंडियन राउंड टीम
रजत पदक
- खुशी कुमारी – 40 मी. रिकर्व ओवरऑल
- सुनीता टूटी – 30 मी. इंडियन राउंड ओवरऑल
- सुनीता टूटी – 30 मी. इंडिविजुअल इंडियन राउंड
अंडर–14 बालक वर्ग
रजत पदक
- विशाल स्वानसी – 30 मी. इंडियन राउंड ओवरऑल
कांस्य पदक
- दिनेश बेदिया – 30 मी. इंडिविजुअल इंडियन राउंड
बच्चों के संकल्प और मेहनत को मिली पहचान
झारखंड के इन नौनिहाल खिलाड़ियों ने निरंतर अभ्यास, सटीक निशाने, अनुशासन और खेल भावना का अद्भुत परिचय दिया है। उनकी यह उपलब्धि भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है और यह साबित करती है कि यदि प्रतिभा को सही मार्गदर्शन व अवसर मिले, तो वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमक सकती है।




