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इजरायल का नंबर 1 दुश्मन!

इज़रायल का नंबर-1 दुश्मन मोहम्मद दाइफ़ व्हीलचेयर से हमास के लड़ाकों का ब्रेनवॉश करता है। इज़रायल ने मोहम्मद दाइफ़ को नया ओसामा बिन लादेन करार दिया है। 59 साल का क़साई हर रात अपना ठिकाना बदलता है, कहते हैं कि इस का दिमाग़ पढ़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। गाजा की अंडरग्राउंड सुरंग के ज़रिए दाइफ़ बार-बार बच जा रहा है। इस सुरंग का पूरा नेटवर्क सिर्फ हमास विंग के जल्लाद कमांडर ऑपरेट करते हैं। दाइफ़ जिसका जन्म एक रिफ्यूजी कैंप में हुआ, अपनी हालत का ज़िम्मेदार इज़रायल को मानता है। दाइफ़ का मतलब होता है ‘मेहमान’, अपने नाम के मुताबिक़ एक जगह ना टिकना दाइफ़ की फ़ितरत है। हमास का ये मेहमान हैवान जैसा आता है और शैतान बन कर निकल जाता है। मोहम्मद दाइफ़ हमास की मिलिट्री विंग यानि फ़ौजी ब्रांच ‘अल-कासम’ ब्रिगेड का कमांडर है। वो हमास के लड़ाकों के सामने नहीं आता बल्कि वीडियो रिकॉर्ड करके अपने संदेश जारी करता है। दाइफ़ के ज़्यादातर वीडियो संदेश में इज़रायलियों की हत्या और अपहरण का आदेश होता है। धर्म के नाम पर अंधी तक़रीरों का मास्टरमाइंड लोगों का ब्रेनवॉश करने में माहिर है। व्हीलचेयर से हमास के आतंकी दस्ते को लीड करने वाला बर्बर दाइफ़ ‘ख़ुदा’ बनने में यक़ीन रखता है। धार्मिक चरमपंथ की आग का सपना देखने वाले दाइफ़ को ईरान और तुर्किए जैसे देशों का समर्थन हासिल है। दाइफ़ वो मोहरा है जिसका इस्तेमाल ईरान पिछले कई सालों से इज़रायल के ख़िलाफ़ कर रहा है। इज़रायल पर हुए हमले को मोहम्मद दाइफ़ ने बदला बताया और कहा कि ये ग़ज़ा को 17 साल तक दुनिया से काटने, वेस्ट बैंक में इज़रायली पुलिस के घुसने और अल अक्सा में हुई हिंसा का बदला है। मोहम्मद दाइफ़ के कासम ब्रिगेड से जुड़ने की कहानी बहुत दिलचस्प है। हमास एक ऐसा आतंकी संगठन है जिसका दिमाग़ कहा जाता था ‘इंजीनियर’। ‘इंजीनियर’ यानि याह्या आयश जो हमास के लिए बम बनाने का काम करता रहा। 1990 के दशक के अंत में याह्या आयश की नज़र मोहम्मद दाइफ़ पर पड़ी, और उसने दाइफ़ को हमास में आने का न्यौता दिया। वक़्त गुज़रता गया और आयश से प्रभावित दाइफ़ उसका शागिर्द यानी शिष्य बन गया। 1996 में इज़रायल डिफ़ेस फ़ोर्स ने याह्या आयश को मार गिराया। बदले की आग में जलते दाइफ़ ने इज़रायल में कई आत्मघाती हमले कराए और एक हफ्ते के भीतर 60 लोगों की हत्या करा दी। दाइफ रॉकेट लॉन्चर बनाने, आत्मघाती हमलावर तैयार करने और सुरंग बनाकर हमले करने में माहिर है। कहा जाता है कि वो अपने आसपास बहुत सीमित लोगों को रखता है और हमेशा सामान्य नागरिक की तरह रहता है। साल 2002 में दाइफ़ को हमास के अल कासम ब्रिगेड का कमांडर बनाया गया। हर गुज़रते दिन के साथ दाइफ़ जल्लाद बनता गया। इज़रायल में दाइफ़ को ‘व्हीलचेयर मॉन्स्टर’ यानी व्हीलचेयर का शैतान कहते हैं। फ़िलिस्तीन के लोग दाइफ़ को जननायक मानते हैं। वीडियो में एक नक़ाबपोश जिसकी सिर्फ परछाईं नज़र आती है। दाइफ़ दुनिया के कई आतंकवादी संगठन से कनेक्टेड रहता है। गुप्त रह कर भी उसने इज़रायल में तबाही मचा कर रखी है। इज़रायल को उसका ज़िंदा रहना खटक रहा है और वो अजेय बना आज़ाद कहीं बैठकर तबाही देख रहा है। दाइफ़ को जानने वाले कहते हैं कि वो मायावी है, जिसने कॉलेज के दिनों में कॉमेडियन का रोल प्ले किया है। आतंक का नाश होता है, हमास और दाइफ़ जैसों का सर्वनाश तय है। लेकिन फ़िक्र करने वाली बात ये है कि हमास और हिज़्बुल्लाह जैसे आतंकी संगठन दुनिया को धार्मिक चरमपंथ की आग में झोंक रहे हैं। ओसामा बिन लादेन बनने का सपना देख रहे दाइफ़ को लादेन की मौत भी याद करनी चाहिए, जिसे कब्र भी समंदर में नसीब हुई थी। हमास फिलिस्तीन का इस्लामिक चरमपंथी संगठन है, जिसकी जड़ में धार्मिक कट्टरता है। हमास 1987 में बना और इस्माइल हानियेह इसका मुखिया है। हमास का सबसे ज़्यादा समर्थन ईरान करता है। ईरान को इतिहास से सबक़ लेने की ज़रूरत है। अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को बनाया जो उसका ही भस्मासुर निकला, पाकिस्तान-अफ़ग़ानिस्तान ने मुल्ला उमर जैसों को बनाया जो दो मुल्कों का भस्मासुर निकला। हमास वो भस्मासुर है जिसकी ज़द में फ़िलीस्तीन ही नहीं ईरान और तुर्किए जैसे देश हैं। दुनिया धार्मिक चरमपंथ की तपिश का एहसास कर रही है। ज़रूरी है कि हमास और जंग दोनों का ख़ात्मा हो। शहर ग़ज़ा हो या तेल अवीव, मरते मासूम ही हैं। बेंजामिन नेतन्याहू कह रहे हैं कि इतने बम मारेंगे, सब धुआं धुआं हो जाएगा। वहीं टीवी वाले कहते नहीं थक रहे कि जंग का मैदान, हमास हैवान, मोहम्मद दाइफ़ शैतान। वक़्त को अब और वक़्त देना सही नहीं होगा, हमास जैसों का सफ़ाया सुनिश्चित किया ही जाना चाहिए।

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