भाजपा ने घोसी विधानसभा उपचुनाव में हुई हार के बाद एक आलाकमानी ब्रेक का ऐलान किया है, जिसके तहत विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से भाजपा में सेंधमारी करने की प्रक्रिया को अब ठप्प कर दिया गया है। यह फैसला घोसी उपचुनाव में प्राप्त हार के बाद आया है।
बीजेपी ने पहले विपक्षी दलों के नेताओं को अपनी पार्टी में ज्वाइन कराने का अभियान चलाया था, जिसका उद्देश्य था पार्टी को मजबूत करना। इस अभियान के तहत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने भाजपा में शामिल हो गए थे।
इसके बावजूद, घोसी विधानसभा उपचुनाव में हुई हार ने भाजपा को सोचने पर मजबूर किया कि क्या वाकई इसके लिए सही समय है। इस बदलती रणनीति के तहत, अब भाजपा विपक्षी दलों के नेताओं को सीधे अपनी पार्टी में ज्वाइन नहीं कराएगी, खासकर उनके इस्तीफा देने के बाद।
इसके परिणामस्वरूप, लगभग 250 विपक्षी नेता भी अब भीजेपी की सूची में शामिल हैं, लेकिन उन्हें अब ज्वाइन कराने की प्रक्रिया के लिए आलाकमानी मंजूरी की आवश्यकता है।
भाजपा ने इस नई रणनीति के तहत ज्वाइनिंग के नियमों में भी बदलाव करने की तैयारी की है, जिसमें विपक्षी दलों के नेताओं की जमीनी रिपोर्ट की गई मांग की गई है। इस रिपोर्ट में नेता की जमीनी आधार और जातीय गणना भी शामिल होगी। इसके साथ ही, मौजूदा एमएलए को इस्तीफा देने की स्थिति से बचाने का प्रयास भी किया जा रहा है।
इस नए नियमों के तहत ज्वाइनिंग की प्रक्रिया को स्क्रीनिंग कमिटी द्वारा देखा जाएगा, जो कि प्रदेश मुख्यालय के सहमति के बाद ही प्रारंभ होगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह है कि भाजपा के नए सदस्यों का चयन सावधानीपूर्वक हो और सुनिश्चित किया जा सके कि वे पार्टी के लक्ष्यों और मूल आदर्शों के साथ मेल खाते हैं।इसके बावजूद, इस नए बदलाव का भाजपा के लिए सवाल उठता है कि क्या वे विपक्षी दलों के नेताओं को अपने पास लाने के लिए सही रणनीति बना पा रहे हैं और क्या यह उनकी नयी दिशा का हिस्सा बनेगा।