by Kritagya sinha
2024 के लोकसभा चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा……
2024 लोकसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां अपनी बिसात बिछाने में लगी है…जहां बीजेपी सत्ता में दोबारा आने को लेकर आश्वस्त है…वहीं विपक्षी पार्टियां बीजेपी को घेरने और सत्ता से बेदखल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं…लेकिन विपक्षी पार्टियों की विचारधारा में कई मतभेद सामने आते रहे हैं… राहुल गांधी का ग्राफ ऊंचा है। कांग्रेस को उम्मीद है कि आने वाले वक्त में विपक्षी पार्टियां राहुल का नेतृत्व मानने को तैयार हो सकते हैं। लेकिन फिलहाल कांग्रेस का नेतृत्व क्षेत्रीय पार्टियों को स्वीकार नहीं है..और क्षेत्रीय पार्टियों के क्षत्रपों में आपसी सहमति अब तक नहीं बन पाई है…उत्तर प्रदेश से अखिलेश यादव और मायावती, बिहार से नीतिश कुमार, पश्चिम बंगाल से ममता बनर्जी, महाराष्ट्र से शरद पवार जैसे क्षत्रप कई मौकों पर अपने को राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व के लिए पेश करते दिखे…लेकिन किसी नेता के नाम पर सहमति नहीं बन पाई है…
इसी कड़ी में जबतब एक नाम और सामने आता है वो है तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव का । इसी कवायद को लेकर अपनी क्षेत्रीय पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति का नाम बदलते हुए भारत राष्ट्र समिति नाम से 5 अक्टूबर 2022 को राष्ट्रीय पार्टी बनाई…जिसे कर्नाटक से नेता एचडी कुमारास्वामी ने भी अपना समर्थन दिया…केसीआर ने इसको लेकर हैदराबाद में एक रैली भी की…हालांकि इस रैली से विपक्ष के दो बड़े दावेदार नीतीश कुमार और ममता बनर्जी नदारद रहे…
वहीं पिछले साल बीजेपी से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को एकजुट करने का एलान किया…कुछ दिनों बाद केसीआर भी खुद पटना आए और दोनों ने मिलकर साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी…नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार जैसे विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात भी की…लेकिन उनकी मुहिम ठंडे बस्ते में चली गई…
इसी तरह ममता बनर्जी भी बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को गोलबंद करने की कई बार कोशिश करती दिखीं…और कांग्रेस रहित विपक्ष की बात भी कही…लेकिन शरद पवार ने यह कहकर उनके मंसूबे पर पानी फेर दिया कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता का कोई मतलब नहीं…
अब अगर तेलंगाना में लोकसभा सीटों की बात करें तो यहां 17 सीटें हैं..2019 के लोकसभा चुनाव में TRS को 9 सीटें मिली ..वहीं बीजेपी को 4 सीटें मिली…कांग्रेस को 3 सीटें मिली..जबकि 1 सीट एआईएमआईएम को मिली…
केसीआर की रणनीति
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तेलंगाना में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होंगे..जहां बीआरएस की मुख्य प्रतिद्वंदी कांग्रेस है..बीजेपी भी तेलंगाना में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है…ऐसे में केसीआर कांग्रेस और बीजेपी को छोड़कर किसी ऐसे मोर्चा में शामिल होना चाहेंगे जो बीजेपी के खिलाफ हो और जिसमें कांग्रेस न हो…
2018 में भी दिखी थी विपक्षी एकता
2018 में भी एक बार विपक्षी एकता बेंगलुरु में दिखी थी…जब जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी का शपथग्रहण समारोह था…जिसमें कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी से लेकर ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, शरद पवार और चंद्रबाबू समेत कई दिग्गज शामिल हुए थे…जो 2019 चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन की बड़ी तस्वीर के रूप में देखा जा रहा था…लेकिन 14 महीने बाद ही विपक्षी एकता टूट गई…और 2019 चुनाव में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ दोबारा केंद्र में आ गई…
वहीं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस अपने को मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर पेश कर रहीं है…कांग्रेस ने राहुल पर बीजेपी के लगातार प्रहार के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी अध्यक्ष बनाकर बीजेपी पर लगातार प्रहार कर रही है…कांग्रेस देश में महंगाई, भ्रष्टाचार और सामाजिक सद्भाव को लेकर बीजेपी पर लगातार हमलावर है…अदाणी प्रकरण को लेकर भी कांग्रेस बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी पर हमलावर है…वहीं 2014 का लोकसभा चुनाव हो या 2019 का लोकसभा चुनाव…बीजेपी को कमजोर विपक्ष का फायदा मिलते रहा है…