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जम्मू कश्मीर में भाजपा व नेशनल कांफ्रेंस मिलकर सरकार बनाने की संभावना

राजभवन में सत्यपाल मलिक के आने के बाद एक बार फिर रियासत की सियासत में हलचल शुरू हो गई है। निलंबित विधानसभा की पुनर्बहाली से लेकर भाजपा और नेशनल कांफ्रेंस की गठबंधन सरकार बनाने के कयास शुरू हो गए हैं। यह अटकलें बेमानी भी नहीं है, क्योंकि राजनीति में न कोई स्थायी मित्र होता है और न दुश्मन। 

नेकां अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला जो कुछ समय पहले तक सियासत में लगभग निष्क्रिय थे, अब पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं। वह दिल्ली से कश्मीर के राजभवन तक नजर आ रहे हैं। भाजपा के एक वर्ग विशेष के साथ उनकी पुरानी नजदीकियों के सूखे पेड़ पर फिर पत्ते निकलते नजर आ रहे हैं। उन्होंने जिस तरह से बुधवार को राज्यपाल सत्यपाल मलिक की श्रीनगर एयरपोर्ट पर आगवानी की और राजभवन में सक्रिय दिखे, उससे भी नेकां व भाजपा के बीच कोई नई शुरुआत होने की उम्मीद जताई जा रही है।

हालांकि नेकां के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कई बार कह चुके हैं कि उनकी पार्टी मौजूदा परिस्थितियों में जम्मू कश्मीर में किसी अन्य दल के साथ मिलकर सरकार बनाने की कतई इच्छुक नहीं हैं। मौजूदा विधानसभा को भंग कर नए चुनाव कराए जाएं, लेकिन कुछ दिनों से नेकां नेताओं ने जिस तरह अपने तेवर बदले हैं, उससे सियासत में बदलाव का संकेत माना जा रहा है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव का यह बयान भी बड़े मायने रखता है कि हमने कश्मीर का ङ्क्षजक्स या मिथ तोड़ दिया है। हम वहां किसी अन्य दल के साथ भी सरकार बना सकते हैं।

रियासत की सियासत पर नजर रखने वालों के मुताबिक, पिछले दिनों पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद दिल्ली में जिस तरह डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने भारत माता की जय का नारा बुलंद किया है, उससे यह कहा जा सकता है कि वह भाजपा के साथ कोई चैनल शुरू करना चाहते हैं। यह वही फारूक अब्दुल्ला हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष कहा था कि कश्मीरी अवाम आजादी चाहता है। कश्मीर के नौजवानों ने आजादी के लिए बंदूक उठाई है। वर्तमान में उनकी पार्टी के निलंबित विधानसभा में 15 विधायक हैं, जबकि भाजपा के पास 25 विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए चार विधायकों की कमी है। दो विधायक सज्जाद गनी लोन की पार्टी पीपुल्स कांफ्रेंस से हैं, जो संभावित गठबंधन में शामिल रहेंगे। ऐसे हालात में दो निर्दलीयों का वोट जुटाना उनके लिए मुश्किल नहीं होगा। पीडीपी के बागी भी उनका साथ दे सकते हैं।

वरिष्ठ पत्रकार मुख्तार अहमद ने कहा कि राज्य में अगर नई सरकार बनती है तो उसमें राजभवन की भूमिका से इन्कार नहीं किया जा सकता। मैं नए राज्यपाल सत्यपाल मलिक की निष्पक्षता पर कोई सवाल नहीं उठाता, लेकिन वह एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से हैं। वह कांग्रेस, समाजवादी, लोकदल समेत विभिन्न राजनीतिक दलों में रह चुके हैं। पीडीपी के साथ भी उनके संबंध बहुत अच्छे हैं। डॉ. फारूक अब्दुल्ला के साथ भी उनकी घनिष्ठता है। नेकां पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में एनडीए का हिस्सा रह चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला उस समय केंद्र में मंत्री थे।

पीडीपी और भाजपा के बीच गठजोड़ सभी देख चुके हैं। इसलिए नेकां लोगों को कहेगी कि हमने दूसरे चुनाव से बचने, रुके विकास कार्यों को पूरा करने और रियासत में लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए यह गठजोड़ किया है। हमने भाजपा के साथ नरेंद्र मोदी की नीतियों पर नहीं बल्कि इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के अटल बिहारी वाजपेयी के सिद्धांत को आगे बढ़ाकर कश्मीर मसले के हल करने का आश्वासन दिया है।

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