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हरियाणा: मिर्चपुर में बुजुर्ग और उसकी बेटी को जिंदा जलाया गया था

हरियाणा: मिर्चपुर में बुजुर्ग और उसकी बेटी को जिंदा जलाया गया था

हरियाणा में वर्ष 2010 में हुए मिर्चपुर कांड में दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया है। साल 2010 में दलितों के घर जलाने को लेकर हाई कोर्ट ने अपने फैसले में जाट समुदाय के उन लोगों को भी दोषी ठहराया है, जिन्हें ट्रायल कोर्ट ने बरा कर दिया था। शुक्रवार को अपने फैसले में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी में कहा- ‘जाट समुदाय ने जानबूझकर बाल्मीकी समुदाय के लोगों पर हमला किया था।’

यहां पर बता दें कि रोहिणी कोर्ट ने 2011 में अपने फैसले में 82 आरोपियों को बरी कर दिया था, जबकि 15 को दोषी बताते हुए कोर्ट ने सजा सुनाई थी। मामले में कुल 97 लोग आरोपी थे। बाकी बचे दंगा भड़काने के 7 आरोपियों को डेढ़ साल की सजा मिली थी और एक वर्ष के प्रोबेशन पर 10-10 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया था, जबकि 82 आरोपियों को बरी कर दिया गया था।

यहां पर बता दें कि हरियाणा के मिर्चपुर इलाके में अप्रैल 2010 में 70 साल के दलित बुजुर्ग और उसकी बेटी को जिंदा जला दिया गया था, जिसके बाद गांव के दलितों ने पलायन कर लिया था।

ट्रायल के बाद दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने मिर्चपुर कांड में दोषी ठहराए गए 15 आरोपियों में से घर जलाने वाले तीन लोगों को उम्रकैद और आगजनी के पांच दोषियों को पांच-पांच वर्ष कैद समेत 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस वीभत्स मामले में कुल 97 लोग आरोपी थे। बाकी बचे दंगा भड़काने के 7 आरोपियों को डेढ़ साल की सजा मिली थी।

शुक्रवार को कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इस घटना से दलितों के 254 परिवारों की जिंदगी प्रभावित हुई। उन्हें अपना सबकुछ छोड़कर पलायन करना पड़ा।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में जाट समुदाय के उन लोगों को भी दोषी ठहराया है, जिन्हें ट्रायल कोर्ट ने बरा कर दिया था। शुक्रवार को अपने फैसले में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी में कहा- ‘जाट समुदाय ने जानबूझकर बाल्मीकी समुदाय के लोगों पर हमला किया।’

यहां पर बता दें कि 2011 में रोहिणी कोर्ट ने अपने फैसले में 82 आरोपियों को बरी कर दिया था, जबकि 15 को दोषी बताते हुए कोर्ट ने सजा सुनाई थी। इसी फैसले को पीड़ित पक्ष ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर शुक्रवार को फैसला आया है। 

अपने फैसले में कोर्ट ने कई और सख्त टिप्पणी भी की। कोर्ट ने कहा कि आजादी के 70 वर्ष के बाद भी दलितों के साथ इस तरह की घटना बेहद शर्मनाक वाक्या है। दलितों के खिलाफ अब भी अत्याचार कम नहीं हुए हैं। अपने फैसले में हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आदेश दिया है कि सरकार इन परिवारों को पुनर्वास प्रदान करे। 

अप्रैल, 2010 में हरियाणा (हिसार जिले) के मिर्चपुर क्षेत्र में 70 साल के दलित बुजुर्ग और उसकी बेटी को जिंदा जिला दिया गया था। इसके बाद यह मामला देश भर में सुर्खियां बना था।

ट्रायल के बाद दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने मिर्चपुर कांड में दोषी ठहराए गए 15 आरोपियों में से घर जलाने वाले तीन लोगों को उम्रकैद और आगजनी के पांच दोषियों को पांच-पांच वर्ष कैद समेत 20-20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस वीभत्स मामले में कुल 97 लोग आरोपी थे। बाकी बचे दंगा भड़काने के 7 आरोपियों को डेढ़ साल की सजा मिली थी।

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