संसद के मानसून सत्र में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। सोमवार के बाद सदन की चार बैठके और होनी हैं। लेकिन, अभी 24 अहम विधेयक सदन में लंबित है। ऐसे में उच्च सदन के समक्ष इन विधेयकों को निपटाने की चुनौती होगी। राज्यसभा के लिए सोमवार का दिन बेहद खास रहा। इस दिन दो अहम विधेयकों को मंजूरी दी गई। आइए जानते हैं इन अहम विधेयकों के बारे में।
राज्यसभा में दंड विधि संशोधन विधेयक – 2018 को मंजूरी मिल गई। यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पास कर दिया गया है। अब यह विधेयक राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। इस विधेयक में बलात्कार से जुड़े मामलों में सख्ती का प्रावधान किया गया है। इसके तहत न्यूनतम सजा को सात साल से बढ़ाकर 10 साल कर दिया गया है।
इस विधेयक में नाबालिगों से बलात्कार मामले में सजा को और सख्त बनाने का प्रावधान है। कानून बनने के बाद अापराधिक कानून संशोधन विधेयक इस साल 21 अप्रैल को लाए गए अध्यादेश की जगह लेगा। लोकसभा से यह विधेयक 30 जुलाई को पारित हुआ था।
विधेयक में 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ रेप के मामले में न्यूनतम 20 साल और अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान है। 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों के लिए में कम से कम 20 साल के कठोर करावास का प्रावधान है, जिसे आजीवन करावास तक बढ़ाया जा सकता है।
16 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में दोषियों के लिए उम्र कैद की सजा भुगतनी होगी और 16 साल से या उससे अधिक उम्र की महिलाओं के साथ बलात्कार मामले में न्यूनतम सजा को सात साल से बढ़ाकर दस साल कर दिया गया है। यह सजा उम्र कैद तक बढ़ाई जा सकती है।
नए कानून में दुष्कर्म मामले की जांच पूरी करने के लिए दो महीने की समय सीमा तय होगी। इसके साथ दंड के फैसले के खिलाफ किसी भी अपील सुनवाई को छह माह के अंदर पूरी करनी होगी। इसके अलावा 16 साल से कम उम्र की लड़कियाें के साथ बालात्कार मामले में अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी।