बिहार

बिहार म्यूजियम में एक स्थान पर दिखेगा कौड़ी से क्रेडिट कार्ड तक का सफर

आज आप अपनी जेब में नोट, सिक्के या क्रेडिट कार्ड रखते हैं। क्या कभी सोचा है कि इनका इतिहास क्या है? क्या हमारे पूर्वज भी आज की तरह आसानी से वस्तुएं खरीद और बेच सकते थे? वर्तमान मुद्रा का शुरुआती रूप कैसा था? सबसे पहले सिक्के का आविष्कार किसने किया? इसकी विस्तृत जानकारी आपको बिहार म्यूजियम में मिलेगी। यहां कौड़ी से क्रेडिट कार्ड तक का सफर दिखेगा। इसमें प्राचीन, मध्यकालीन से लेकर आधुनिक भारतीय मुद्राएं देखने के साथ उनके इतिहास की पूरी जानकारी ले सकेंगे।

 

 

कौड़ी से क्रेडिट कार्ड तक के इस सफर को देखने के बाद दर्शकों को अलग तरह का अहसास होगा। यह इसलिए कि जब मुद्रा की शुरुआत नहीं हुई थी, तब भी हम मुद्राविहीन थे और आज आधुनिक होने के बावजूद हम मुद्राविहीन (कैशलेस) की ओर लौट रहे हैं, क्योंकि अब तेजी से प्लास्टिक मनी का उपयोग हो रहा है। प्रदर्शनी में पुराने जमाने के चेकबुक भी रहेंगे। हर काल की मुद्रा की अलग ताकत हुआ करती थी।

 

 

बताया जाएगा कि छठी शताब्दी ईसा पूर्व बुद्ध के समय प्राचीन भारतीय मुद्राएं पहली बार चलन में आईं। जिन्हें आहत सिक्के कहते थे। इन सिक्कों पर अलग-अलग चिह्न अलग-अलग ठप्पों से उतारे जाते थे। ये चांदी के थे। इस काल में एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु का लेन-देन हुआ था, जिसे वस्तु विनिमय कहा जाता है। इसी काल में आदिम मुद्रा, तांबे के सिक्के, जनजातीय सिक्के, नगर राज्य सिक्के, इंडो-ग्रीक सिक्के, कुषाण कालीन सिक्के, गुप्त कालीन सिक्के, उत्तर गुप्तकालीन सिक्के और पूर्व मध्यकालीन सिक्के बनाए जाते थे।

 

 

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