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IDFC बैंक और कैपिटल फर्स्ट का होगा विलय, RBI से मिली मंजूरी

IDFC बैंक ने बुधवार को कहा कि उसे अपने साथ कैपिटल फर्स्ट, कैपिटल फर्स्ट होम फाइनेंस और कैपिटल फर्स्ट सिक्योरिटीज का विलय करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मंजूरी मिल गई है। बैंक ने शेयर बाजार को दी गई नियामकीय सूचना में कहा कि आरबीआई ने चार जून 2018 को लिखे गए पत्र में इस विलय के लिए अनापत्ति की सूचना दी है। बैंक ने कहा कि इससे पहले जनवरी में उसके निदेशक मंडल ने तीनों कंपनियों के आईडीएफसी बैंक लिमिटेड में विलय के लिए मंजूरी दी थी।

 

आरबीआई से मिली मंजूरी, शेयरों की अदला-बदली पर आधारित होगा विलय

बैंक ने सूचना में कहा कि इस विलय के लिए सभी संबंधित कंपनियों के शेयरधारकों से भी मंजूरी लेनी होगी। इसके अलावा नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल से तथा अन्य सांविधिक और नियामकीय मंजूरियां भी लेनी होंगी। वारबर्ग पिनकस समर्थित गैर-वित्तीय फाइनेंशियल कंपनी कैपिटल फर्स्ट और आईडीएफसी बैंक के विलय के बाद बनने वाले संयुक्त उद्यम के संपत्ति प्रबंधन (एयूएम) का आकार 88,000 करोड़ रुपये का हो जाएगा।

 

88,000 करोड़ रुपये होगा विलय के बाद संपत्ति प्रबंधन

यह विलय शेयरों की अदला-बदली पर आधारित होगा, जिसका अनुपात 139:10 तय किया गया है। इसका मतलब है कि कैपिटल फर्स्ट के हर 10 शेयरों के लिए आईडीएफसी बैंक 139 शेयर का आवंटन करेगा।

 

विलय के बाद बैंक की शाखाओं की संख्या 194 हो जाएगी। इसके साथ ही 353 समर्पित बैंकिंग कॉरस्पोंडेंट आउटलेट हो जाएंगे, माइक्रो एटीएम प्वाइंट की संख्या 9,100 से अधिक हो जाएगी और ग्राहकों की संख्या 50 लाख से अधिक हो जाएगी।

 

 

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