इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप ने डिजिटल पेमेंट की शुरुआत महीनों पहले की थी. हालांकि यह टेस्टिंग के दौर में था और अब भी है. वॉट्सऐप की इस सर्विस के बाद पेटीएम के सीईओ ने वॉट्सऐप की प्राइवेसी को लेकर सवाल भी खड़े किए थे.
वॉट्सऐप को भारत में डिजिटल पेमेंट यानी पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा को पूरी तरह से शुरू करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से हरी झंडी मिलनी बाकी थी. लेकिन ET की रिपोर्ट के मुताबिक वॉट्सऐप पे बीटा वर्जन के टेस्टिंग सैंपल को नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने सिर्फ 1 मिलियन यूजर तक लिमिट कर दिया है जो वॉट्सऐप के टोटल यूजर्स का सिर्फ 1 फीसदी ही है. भारत में वॉट्सऐप के लगभग 200 मिलियन मथली यूजर्स हैं और रिपोर्ट के मुताबिक अब तक 7 लाख लोगों ने वॉट्सऐप पे को ट्राई किया है.
आपको बता दें कि वॉट्सऐप पे को मार्च तक ही लॉन्च होना था लेकिन फेसबुक-कैंब्रिज ऐनालिटिका स्कैंडल के बाद से यह अधर में है और इसके पीछे की वजह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का डेटा स्टोरेज को लेकर दिया गया आदेश है.
नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया की गाइडलाइन में टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन है जिसे वॉट्सऐप नहीं मानता है. रिपोर्ट के मुताबिक दूसरे UPI ऐप्लिकेशन की तरह बैंकर्स का मानना है कि वॉट्सऐप टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन को नहीं मानता है. कुछ ऐसी ही बात पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने तब कही थी जब वॉट्सऐप पे का बीटा वर्जन आया था.
वॉट्सऐप पे शुरू होने के पीछे दूसरा पेंच डेटा लोकलाइजेशन भी है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में एक सीनियर बैंकर के हवाले से कहा गया है, ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का मैंडेट साफ तौर पर कहता है कि फाइनैंशियल डेटा देश में ही स्टोर होना चाहिए, लेकिन वॉट्सऐप और गूगल जैसी कंपनियां यूजर्स की आय से संबंधित जानकारियां भी रखेगी जैसे कितना फायदा हुआ जिसे फाइनैंशियल जाननकारी नहीं कही जाती और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सिर्फ फाइनैंशियल जानकारियां रेग्यूलेट करता है.
बहरहाल अभी वॉट्सऐप की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. मामला जो भी वॉट्सऐप पेमेंट की शुरुआत में देर होना पेटीएम और कंपनी के सीईओ के लिए राहत की खबर जरूर हो सकती है.