कारोबार

मकान और वाहन खरीदना होगा महंगा, रिजर्व बैंक ने रेपो दर में चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी की

मकान, वाहन एवं अन्य उपभोक्ता सामान के लोन पर ईएमआई में कमी की आस कर रहे लोगों को रिजर्व बैंक की तरफ से मायूसी मिली है। रिजर्व बैंक ने अपनी द्विमासिक नीतिगत दरों की समीक्षा में रेपो और रिवर्स रेपो रेट में चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी का फैसला किया है। इससे ब्याज दरों में बढ़ोतरी होगी और सभी के लिए कर्ज लेना तो महंगा होगा ही, पहले से लिए गए लोन पर ईएमआई भी बढ़ जाएगी। नरेंद्र मोदी सरकार के चार साल के कार्यकाल में यह ऐसा पहली बार हुआ है जबकि रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई हो। हालांकि नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया गया है। 
रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक की समाप्ति के बाद बुधवार को जारी आंकडों के मुताबिक रेपो रेट को छह फीसदी से बढ़ा कर सवा छह फीसदी जबकि रिवर्स रेपो रेट को पौने छह फीसदी से बढ़ा कर छह फीसदी कर दिया गया है। इससे पहले इसी साल अप्रैल और फरवरी में हुई बैठकों के दौरान इन दोनों दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। रिजर्व बैंक ने सीआरआर की दरों में कोई बदलाव नहीं किया है और यह चार फीसदी के पूर्ववत स्तर पर है। एमपीसी की तीन दिन तक चली बैठक के दौरान समिति के सभी सदस्यों ने रेपो दर में बढ़ोतरी के समर्थन में अपना मत दिया।

कितनी बढ़ेगी ईएमआई 
अगर अभी ब्याज दर 10 फीसदी है तो 20 साल के लिए 20 लाख रुपये के होम लोन पर 19300 रुपये की ईएमआई बनती है। अगर रेपो दर में बढ़ोतरी के बाद बैंक चौथाई फीसदी ब्याज दर बढ़ाते हैं तो 10.25 फीसदी के ब्याज दर पर ईएमआई बढ़कर 19633 रुपये हो जाएगी यानी हर महीने 333 रुपये का बोझ बढ़ेगा। 

लेकिन आम आदमी को राहत
ब्याज दर में बढ़ोतरी के साथ रिजर्व बैंक ने आम लोगों को राहत प्रदान करते हुए 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले मेट्रो शहरों में सस्ते मकानों के लिए लोन सीमा को बढ़ाकर 35 लाख रुपये कर दिया है। इससे पहले यह सीमा 28 लाख रुपये थी। दस लाख से कम आबादी वाले शहरों के लिए यह सीमा 20 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है। हालांकि शर्त यह है कि मेट्रो शहरों में मकान की कीमत 45 लाख रुपये और अन्य शहरों में 30 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। रिजर्व बैंक के इस कदम से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए सस्ते मकान बनाने को गति मिलेगी।

महंगाई बढ़ने की आशंका

रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही के दौरान खुदरा मूल्य पर आधारित महंगाई की दर के 4.8 से 4.9 फीसदी के बीच रहने की संभावना जताई है। चालू वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान इसके 4.7 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया गया है। इससे पूर्व के अनुमान में पहली छमाही 4.7-5.1 फीसदी और दूसरी छमाही में 4.4 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था।

विकास दर अनुमान यथावत
केन्द्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अर्थव्यवस्था विकास दर के अनुमान को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है। इस वर्ष पहली छमाही –अप्रैल-सितंबर– के बीच 7.5-7.6 फीसदी की विकास दर रहने का अनुमान है, जबकि दूसरी छमाही के दौरान 7.3-7.4 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है। 

रेपो रेट क्या है
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। जब भी बैंकों के पास कोष की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं। रिजर्व बैंक की तरफ से दिया जाने वाला यह कर्ज जिस दर पर मिलता है, वही रेपो रेट कहलाता है। इसे हमेशा से रिजर्व  बैंक ही तय करता है। रेपो रेट में कटौती या बढ़ोतरी करने का फैसला मौजूदा और भविष्य में अर्थव्यवस्था के संभावित हालात के आधार पर लिया जाता है।  

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