विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को लेकर त्रिवेन्द्रम से मॉरीशस जा रहा वीवीआईपी विमान ‘मेघदूत’ का शनिवार को कुछ देर के लिए शेष दुनिया से संपर्क कट गया था. ये हादसा तब हुआ जब सुषमा को लेकर जा रहे ‘एम्ब्रायर 135 लीगेसी’ का संपर्क मॉरीशस में प्रवेश करने के बाद मॉरीशियन हवाई यातायात नियंत्रण से कुछ देर के लिए टूट गया.
एयरपोर्ट ऑथरटी इंडिया (एएआई) के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि एटीसी आमतौर पर समुद्री एयरस्पेस के ऊपर 30 मिनट तक इंतजार करने के बाद विमान के गायब होने का ऐलान कर देता है. सुषमा स्वराज के विमान ने जब मॉरीशस के एयरस्पेस में प्रवेश किया तो वहां के एटीसी के साथ करीब 12 मिनट तक स्वराज के विमान का संपर्क नहीं हो सका. इसके बाद मॉरीशस ऑथरिटी ने इमरजेंसी अलार्म बटन दबाया.
वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय ने इस पूरी घटना की जानकारी होने से इनकार किया है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मॉरीशस ने इसके बाद आईएनसीईआरएफए अलॉर्म की घोषणा कर दी. उन्होंने चेन्नई एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क किया. चेन्नई एयर ट्रैफिक कंट्रोल ही एम्ब्रायर ईआरजे 135 ‘मेघदूत’ से आखिरी बार संपर्क में था.
एएआई के अधिकारी ने कहा कि विमान ने 4 बजे त्रिवेन्द्रम से उड़ान भरी थी. स्थानीय एटीसी ने यह मामला चेन्नई फ्लाइट इनफॉर्मेशन रीजन (एफआईआर) को पास कर दिया. इसके बाद इसको मॉरीशस एफआईआर को पास कर दिया गया. उन्होंने बताया कि भारतीय एटीसी की ओर से भी विमान से संपर्क करने की गई.
बता दें कि सुषमा स्वराज ब्रिक्स और भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (आईबीएसए) मंत्रिस्तरीय बैठकों में भाग लेने के लिए भारत से दक्षिण अफ्रीका जा रही थीं. उनके विमान को दिल्ली-त्रिवेंद्रम-मॉरीशस-दक्षिण अफ्रीका के बीच तीन तकनीकी स्टॉप लेने पड़े.
मॉरीशस के विदेश मंत्री से मुलाकात करने के लिए स्वराज ने मॉरीशस में संक्षिप्त स्टॉपओवर किया. विदेश मामलों के मंत्रालय ने शनिवार की शाम को ट्वीट्स की एक श्रृंखला में कहा, ‘दक्षिण अफ्रीका जाने के दौरान मॉरीशस में वहां के विदेश मंत्री ने भारतीय विदेश मंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया.’
इन सबके बाद, स्वराज दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना हो गईं. 6 जून को, वह दक्षिण अफ्रीका में भारतीय मूल के लोगों की कॉलोनी में भी जाएंगी. यहीं से महात्मा गांधी ने अपने अहिंसा के दर्शन को विकसित किया था.
सुषमा स्वराज 7 जून को 300 लोगों के साथ पेंट्रिच स्टेशन से पीटरमेरिट्जबर्ग स्टेशन तक सांकेतिक यात्रा करेंगी. बता दें कि इस दिन साल 1893 में महात्मा गांधी को ट्रेन से बेदखल किया गया था.