केरल के चर्चित लव जिहाद केस पर सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुनाते हुए केरल हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट ने हदिया और शफीन जहां की शादी को बहाल रखा और दोनों को पति-पत्नी की तरह साथ रहने की अनुमति दे दी.
केरल हाईकोर्ट ने हदिया और शफीन जहां की शादी को अवैध मानते हुए शादी को शून्य करार दिया था. शफीन ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
साथ ही देश की शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) मामले से निकले अन्य पहलुओं पर जांच जारी रख सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हैवियस कॉर्पस को लेकर हाईकोर्ट का दखल और आदेश कानून के मुताबिक नहीं था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित ‘लव जिहाद’ मामले की सुनवाई 8 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी थी. केस की धुरी अखिला अशोकन उर्फ हदिया ने जो जवाब दाखिल किया था, उस पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आपत्ति जताई थी.
NIA के मुताबिक हदिया ने जांच में NIA की भूमिका पर ही गंभीर सवाल उठाए हैं, जिन पर उसे आपत्ति है. NIA का कहना है कि जांच में ऐसे कई सबूत मौजूद हैं जो इस मामले में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) की मुहिम से जुड़ाव की ओर इशारा करते हैं.
बता दें कि अखिला ने अपने घरवालों की मर्जी के बिना शफीन जहां नाम के शख्स से शादी कर ली थी और अपना नाम हदिया रख लिया, जबकि लड़की के पिता का कहना था कि बहला-फुसलाकर उसकी शादी कराई गई.
वहीं हदिया का कहना था कि उसने अपनी मर्जी से शादी की और उस पर कोई दबाव नहीं था. शादी के वक्त हदिया और शफीन जहां, दोनों ही व्यस्क थे. शफीन जहां ने हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जिसमें उसकी हदिया के साथ शादी को रद्द कर दिया गया था.
पिछले महीने कोर्ट में सुनवाई के दौरान हदिया ने पति शफीन जहां के समर्थन में 26 पन्ने का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था.
अखिला उर्फ हदिया ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि वह मुसलमान है और मुसलमान के तौर पर ही अपनी जिंदगी जीना चाहती है. अपने हलफनामे में उसने यह भी कहा कि वह शफीन जहां की पत्नी है, जिससे शादी करने के लिए उसने इस्लाम धर्म अपनाया है.