नई दिल्ली : टीम इंडिया के धाकड़ बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ आज अपना 69वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने भारतीय क्रिकेट में ना सिर्फ बल्लेबाज और कप्तान बल्कि चयनकर्ता के रूप में भी अपना अहम योगदान दिया। आइये जानते हैं इस श़ख्सियत के बारे में कुछ ख़ास बातें…
टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ के बारे में एक बात चर्चित है कि उन्होंने जब भी शतक लगाया तो टीम को हार नहीं मिली। उन्होंने 14 शतक लगाए जिसमें से चार में भारत को जीत मिली तो 10 मैच ड्रा रहे। 1970 के दशक में क्रिकेट प्रेमी अक्सर चर्चा करते थे कि विश्वनाथ और सुनील गावस्कार में से कौन बेहतर बल्लेबाज है।
जैसी चर्चा कभी सचिन और द्रविड़ तो मौजूदा वक्त में विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे को लेकर होती है, लेकिन इन दोनों ने कभी इस बात को दिल पर नहीं लिया बल्कि यह बात बहुत कम लोगों को पता होगी कि विश्वनाथ की पत्नी गावस्कर की छोटी बहन कविता हैं। जबकि गावस्कर ने अपने बेटे का नाम रोहन जयविश्वा अपने फेवरेट खिलाड़ियों रोहन कन्हाई, एमएल जयसिम्हा और विश्वनाथ के नाम पर रखा।
चेन्नई में विश्वनाथ द्वारा 1974-75 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई 97 रन की नाबाद पारी को हमेशा याद किया जाता है। यह वीवीएस लक्ष्मण के 281 रन से पहले भारतीय क्रिकेट की सबसे चर्चित पारी थी। इस मैच में कैरेबियाई तूफानी गेंदबाज एंडी रोबर्ट्स के सामने पूरी भारतीय टीम 190 रन पर सिमट गयी थी। विश्वनाथ की इस पारी ने विजडन के टॉप 100 में जगह बनाई है।
मशहूर क्रिकेटर गुंडप्पा विश्वनाथ का जन्म 12 फरवरी 1949 को कनार्टक के मैसूर में हुआ था। वह हमेशा साफ सुथरा खेल खेलने के कारण सुर्खियों में रहे। उनकी शराफत भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए स्वर्ण जयंती टेस्ट मैच में उस वक्त हर किसी के दिल को छू गई जब उन्होंने बॉब टेलर को बल्लेबाजी करने के लिए वापस बुला लिया था, जबकि वह अंपायर द्वारा आउट दिए जाने के बाद पवेलियन जा रहे थे।
विश्वनाथ ने इस टेस्ट समेत दो मैचों में कप्तान की
दाएं हाथ के इस दमदार खिलाड़ी ने 1967 में कर्नाटक की तरफ से रणजी ट्रॉफी के अपने डेब्यू मैच में यादगार दोहरा शतक लगाया था, जबकि वह अपने डेब्यू टेस्ट की पहली पारी में शून्य पर आउट होने के बाद दूसरी पारी में 25 चैकों की मदद से 137 रन बनाने में सफल रहे थे। ये ऐसा पहला मौका था जब किसी क्रिकेटर ने टेस्ट मैच में शून्य और शतक बनाया था।
विश्वनाथ ने भारतीय क्रिकेट की उस धारणा को तोड़ा जो काफी समय से चली आ रही थी। जी हां, उनसे पहले जिस भी भारतीय खिलाड़ी ने पहले टेस्ट में शतक बनाया, वह फिर कभी शतक नहीं बना पाया। लाला अमरनाथ, दीपक शोधन, अब्बास अली बेग, हनुमंत सिंह जैसे कई नाम इस फेहरिस्त में थे। सौभाग्य से विश्वनाथ ने यह सिलसिला तोड़ा और 91 मैचों में 14 शतक की मदद से 6080 रन बनाए।
टीम इंडिया और कर्नाटक के इस दिग्गज खिलाड़ी को 2009 का सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया, जबकि क्रिकेट से रिटायर होने बाद वह आईसीसी रेफरी और बीसीसीआई की राष्ट्रीय चयन समिति के अध्यक्ष के अलावा इंडियन क्रिकेट टीम के मैनेजर व राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी से कोच के रूप में जुड़े रहे।