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मालदीव में इमरजेंसी का एलान, भारत ने जारी की ये चेतावनी

emergency declared in maldives

माले : मालदीव का राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट से टकराव की राह पर चलते हुए राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की सरकार ने 15 दिनों के लिए इमरजेंसी लागू कर दी है। राजनेताओं की धरपकड़ तेज हो गई है। पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के जज अली हमीद के अलावा पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयुम को गिरफ्तार कर लिया है।

वहीं राष्ट्रपति यामीन के सौतेले भाई और 30 साल तक देश के राष्ट्रपति रहे ममून अब्दुल गयूम को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। वह विपक्षी नेताओं का साथ दे रहे हैं। मालदीव की स्थिति को देखते हुए भारत ने अपने यात्रियों को चेतावनी जारी की है और कहा है कि जरूरी ना हो तो वहां की यात्रा पर ना जाएं। दूसरी तरफ मालदीव की सेना ने संसद पर कब्जा कर लिया है।

संसद के पूर्व स्पीकर अब्दुल्ला शाहीद ने ट्वीट कर पूर्व राष्ट्रपति की गिरफ्तारी की पुष्टि कर दी है। उन्होंने लिखा है कि पूर्व राष्ट्रपति और उनके दामाद को मालदीव की स्पेशल ऑपरेशन पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

इससे पहले सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति मुहम्मद नशीद समेत राजनीतिक बंदियों की रिहाई का सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने से इन्कार कर दिया। उसने कहा कि वह इन सभी के खिलाफ फिर से मुकदमा चलाएगी।

अधिकारियों ने बताया कि इमरजेंसी लागू होने पर संसद को दो दिन में इसकी जानकारी देनी होती है। लेकिन, इसे सरकार पहले ही अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर चुकी है। इस बीच, भारत सरकार ने मालदीव की राजनीतिक परिस्थितियों पर चिंता जताते हुए अपने नागरिकों से कहा है कि अगर बहुत ज्यादा जरूरी न हो, तो वहां नहीं जाएं।

राष्ट्रपति यामीन के कार्यकाल में दूसरी बार इमरजेंसी लगाई गई है। इससे पहले नवंबर 2015 में उन्होंने अपनी जान का खतरा बताते हुए इमरजेंसी लगा दी थी। इस बीच, मालदीव के विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति यामीन पर दबाव बनाने के लिए भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से गुहार लगाई है। देश में इमरजेंसी लगाने का एलान कानूनी मामलों की मंत्री अजिमा शकूर ने सोमवार को किया।

उन्होंने इस सिलसिले में सरकार का फैसला टेलीविजन पर पढ़ा। उन्होंने कहा कि सरकार राजनीतिक बंदियों की रिहाई के आदेश पालन नहीं करेगी। पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामले को राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर दिया था और उन्हें रिहा करने का आदेश दिया था। साथ ही 12 सांसदों की सदस्यता बहाल कर दी थी। राष्ट्रपति यामीन की पार्टी छोड़ने के बाद इनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी।

इस बीच मालदीव के स्वास्थ्य मंत्री हुसैन रशीद ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश न मानने के सरकार के फैसले के विरोध में सोमवार को इस्तीफा दे दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से इस्तीफा देने वाले वह पहले मंत्री हैं।

उधर, मालदीव के विपक्षी नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से राजनीतिक नेताओं को रिहा करने और लोकतंत्र बहाल करने के लिए राष्ट्रपति यामीन पर दबाव डालने को कहा है। उन्होंने कहा कि हमने भारत, श्रीलंका, अमेरिका, ब्रिटेन समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पत्र लिखकर यह आग्रह किया है।

गौरतलब है कि भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, आस्ट्रेलिया और संयुक्त राष्ट्र ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था। इस बीच मालदीव के न्यायिक प्रशासन विभाग ने इस खबर का खंडन किया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश को लागू कराने के लिए भारत सरकार से सहायता मांगी है।

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