नई दिल्ली : बसंत पंचमी विद्या, ज्ञान और बुद्धि की देवी मां सरस्वती की आराधना, उपासना और पूजा का पर्व है। सर्दी के महीनों के बाद बसंत और फसल की शुरूआत होने के रूप बसंत पचंमी का त्योहार मनाया जाता है। बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए और गृह प्रवेश से लेकर सभी नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी शुभ मानी जाती है। इस दिन पढ़ाई में कमजोर बच्चे मां की आराधना कर और कुछ उपाय कर उनकी कृपा पा सकते हैं। बसंत को ऋतुओं का राजा और प्रेम की ऋतु भी कहा जाता है।
मां सरस्वती की पूजा विधि
सुबह स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र धारण करें। मां सरस्वती की मूर्ति या चित्र उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करें। मां सरस्वती को सफेद चंदन, पीले और सफेद फूल अर्पित करें। उनका ध्यान कर ॐ ऐं सरस्वत्यै नम: मंत्र का 108 बार जाप करें। मां सरस्वती की आरती करें दूध, दही, तुलसी, शहद मिलाकर पंचामृत का प्रसाद बनाकर मां को भोग लगाएं।
बच्चों के लिए इस दिन करें ये उपाय
ज्योतिष के अनुसार, जिनकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हो या अस्त हो या बच्चे का पढ़ाई में मन न लगे, तो बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती को हरे फल आर्पित करके कम से कम 11 गरीबों को अवश्य बांटना चाहिए।
पढ़ने की जगह पर पर्दे, कुर्सी के कवर आदि हल्के हरे रखें।
मां सरस्वती का चित्र अध्ययन कक्ष या टेबल पर रखें। उनका स्मरण करने के बाद पढ़ें।
अपनी टेबल पर क्रिस्टल या स्फटिक का ग्लोब रखें और उसे दिन में कम से कम तीन बार घुमाएं।
क्यों खास है बसंत पंचमी
बसंत पंचमी के दिन को बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के आरंभ के लिए शुभ मानते हैं।
इस दिन बच्चे की जीभ पर शहद से ॐ बनाना चाहिए। माना जाता है कि इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है।
6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है। अन्नप्राशन के लिए यह दिन अत्यंत शुभ है।
बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है। बसंत ऋतु प्रेम की मानी जाती है इसलिए परिवार के विस्तार के लिए भी यह ऋतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है।