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‘आप’ को लगा बड़ा झटका, इस मामले में चुनाव आयोग ने दिया ये फैसला

election commission disqualifies 20 aap mlas sends recommendation to president

नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने लाभ के पद मामले में दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित किया है। आयोग अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजेगा। अब सबकी नजरें राष्ट्रपति पर हैं, जो इस मामले पर अंतिम मुहर लगाएंगे। वह अगर आयोग की अनुशंसा पर इन विधायकों को अयोग्य घोषित करने का आदेश जारी करते हैं, तो दिल्ली में इन सीटों पर दोबारा चुनाव की नौबत आ सकती है। हालांकि यह तय है कि 20 विधायकों की सदस्यता चले जाने की स्थिति में भी 67 सीटों के बंपर बहुमत के साथ सत्ता में आई केजरीवाल सरकार बची रहेगी।

आम आदमी पार्टी ने इस मामले में चुनाव आयोग और मुख्य चुनाव आयुक्त पर पलटवार किया है। आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति का 23 जनवरी को जन्मदिन है। वह 65 साल के हो रहे हैं। जोति रिटायर होने से पहले पीएम मोदी का कर्ज उतारना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग में आप के किसी विधायक की गवाही नहीं हुई है।

शुक्रवार को चुनाव आयोग की टॉप मीटिंग के बाद इस बारे में राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजने का फैसला हुआ। मामले की जांच राष्ट्रपति के निर्देश पर ही हो रही थी। हालांकि आप इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकती है। चुनाव आयोग ने आप के 21 विधायकों को ‘लाभ का पद’ मामले में कारण बताओ नोटिस दिया था। इस मामले में पहले 21 विधायकों की संख्या थी, लेकिन जरनैल सिंह पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं।

बता दें कि केजरीवाल सरकार ने अपने मंत्रियों के लिए विधायकों को ही संसदीय सचिव के पद पर तैनात किया था। ‘लाभ के पद’ का हवाला देकर इस मामले में सदस्यों की सदस्यता भंग करने की याचिका डाली गई थी। हालांकि, पार्टी इसे बार-बार राजनीति से प्रेरित मामला बताती रही है। पार्टी को लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग से पहले भी झटका लगा था। चुनाव आयोग ने 21 विधायकों की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने केस को रद्द करने की मांग की थी।

यह है पूरा मामला

दिल्ली सरकार ने मार्च, 2015 में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था। इसको लेकर प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी और कांग्रेस ने सवाल उठाए थे। इसके खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया था कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद होनी चाहिए। दिल्ली सरकार ने दिल्ली असेंबली रिमूवल ऑफ डिस्क्वॉलिफिकेशन ऐक्ट-1997 में संशोधन किया था। इस विधेयक का मकसद संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद से छूट दिलाना था, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नामंजूर कर दिया था।

इसके बाद से इन सभी 21 विधायकों की सदस्यता पर और सवाल खड़े हो गए थे। कई दौर की सुनवाई होने के बाद अब आयोग इस मामले को आगे खींचने के मूड में नहीं है। उनकी सदस्तया रद्द करने की मांग राष्ट्रपति से की गई थी। राष्ट्रपति की ओर से यह मामला चुनाव आयोग को जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था। आयोग के सूत्रों के अनुसार इनके खिलाफ आरोप साबित हुआ है और वे अपने जवाब से संतुष्ट नहीं कर पाए हैं। ऐसे में उनकी सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा की जा रही है।

यहां आकर फंस गया पूरा मामला

बता दें कि दिल्ली सरकार ने 21 विधायकों की नियुक्ति मार्च 2015 में की, जबकि इसके लिए कानून में ज़रूरी बदलाव कर विधेयक जून 2015 में विधानसभा से पास हुआ। इस विधेयक को केंद्र सरकार से मंज़ूरी आज तक मिली ही नहीं है। विपक्षी दलों ने लाभ के पद का हवाला देकर इस मामले में केजरीवाल सरकार पर जमकर निशाना साधा।

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