कोलकाता : प्यार, शादी, तकरार और तलाक। हमारे समाज में ऐसी कहानियां आम है, लेकिन इस कहानी में जबरदस्त ट्विस्ट है। तलाक के लिए जब पति-पत्नी कोर्ट पहुंचे तो जज के फैसले ने हर किसी को हैरान कर दिया। दरअसल जज ने पति और पत्नी दोनों को अपने खर्चे पर होटल में रहने की सलाह दी ताकि दोनों के बीच दूरियां खत्म हो जाए और तलाक की नौबत फिर से न आ जाए।
ये कहानी पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले की है। गौतम दास और अहना एक दूसरे से प्यार करते थे। लंबे समय से एक दूसरे को जानने और समझने के बाद मार्च, 2016 में दोनों की शादी हो गई, लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही इनका रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच गया। दोनों के परिवार ने इन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं माने। अक्टूबर 2017 में अहना अपने पिता के पास लौट आई। जनवरी 2018 में अहना के परिवार ने ससुर और सास के खिलाफ उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करा दी।
मामला जिला कोर्ट में पहुंचा। पति-पत्नी ने तलाक की अर्जी दी। 16 जनवरी को सुनवाई के दौरान जज पार्थ सार्थी ने इन दोनों को सलाह दी की वो अपने विवाद खत्म कर लें और एक साथ रहें। जज ने विवाद खत्म करने के लिए सलाह दी कि दोनों परिवार से दूर किसी अच्छे होटल में 3 दिन साथ रहें और एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताएं और एक दूसरे को समझने की कोशिश करें, लेकिन पति-पत्नी ने जज की सलाह ये कहते हुई नहीं मानी कि उनके पास होटल में रहने के लिए पैसे नहीं हैं। फिर क्या था जज ने कहा कि इसका खर्च वो खुद ही उठाएंगे। लेकिन इस बीच सुनवाई के दौरान सरकारी वकील रणजीत गांगुली ने कहा कि वो होटल में रहने का खर्चा देंगे। जज ने पुलिस से कहा कि वो इस दौरान पति-पत्नी को सुरक्षा प्रदान करें। बाद में वकील रणजीत गांगुली ने इन दोनों के लिए बीरभूम में होटल बूक किया।
गांगुली ने कहा कि कोर्ट रुम में आने के समय पति-पत्नी की कई शिकायतें थी, लेकिन वो दोनों यहां से खुशी-खुशी वापस गए। मैंने ऐसा केस कभी नहीं देखा था। मैं अपने जज साहब का शुक्रिया अदा करना चाहुंगा। मैंने दोनों को शॉपिंग भी कराई और उन्होंने मुझसे वादा किया है कि अब वो अलग नहीं रहेंगे। दोनों पक्षों के वकील ने जज के फैसले की सराहना की है।