आपने हमेशा लोगो को कहते सुना होगा कि इतिहास खुद को दोहराता है और जो चीज़ या घटना एक बार हुई वो दुबारा जरूर होता है। मगर यह कहावत या बात बॉलीवुड की कुछ फिल्मो को ले कर गलत साबित हो जाती है।
हरेक साल बॉलीवुड में हज़ारो फिल्मे बनती है मगर कुछ ही ऐसी फिल्मे होती है तो सालो साल के बाद भी दर्शको के दिमाग-जेहन में वो बसी रहती है और यह वो फिल्मे होती है जिसमे कहानी के साथ साथ बेहतरीन गाने भी होते है और जुबान पर रहने वाले डायलॉग। इनके साथ होता है डायरेक्टर का नजरिया और आत्मविश्वास जो इन फिल्मो को दूसरे फिल्मो से अलग बना देती है। आइये देखे वो कौन कौन सी फिल्मे है जिनका रीमेक या पुनर्निर्माण मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।
आवारा
राज कपूर निर्देशित और अभिनीत 1951 में आयी आवारा आजतक की सबसे सफल प्रेम कहानी रही है तो यह कहना गलत नहीं होगा। राज कपूर और नरगिस ने परदे पर जैसे केमिस्ट्री और रोमांस को दर्शाया , उसे परदे पर फिर से उतारना नामुमकिन है। शायद राज कपूर और नरगिस जी ऐसा चमत्कार फिर से परदे पर ना दोहरा पाए।
मुगल-ए-आजम
अगर मुगल-ए-आजम को भारतीय हिंदी फिल्म इतिहास का सबसे बेहतरीन फिल्म बोला जाए तो इसमें अतिश्योक्ति नहीं होगी। के.आसिफ साहब की बेहतरीन फिल्म को बनने में 18 साल लग गए और 1960 में यह फिल्म रिलीज़ हुई। दिलीप कुमार, मधुबाला और पृध्वीराज कपूर जैसे स्टारों से परिपूर्ण फिल्म अपनी बेहतरीन अदाकारी, निर्देशन और गानो के साथ के साथ साथ भव्य सेट के लिए भी जाना जाता है।
मदर इंडिया
मेहबूब खान निर्देशित और नरगिस , राज कुमार , सुनील दत्त और राजेंद्र कुमार अभिनित्त मदर इंडिया 1940 में आयी औरत मूवी की रीमेक थी। मदर इंडिया अपने शानदार पठकथा, नरगिस दत्त और सुनील दत्त की लाजवाब अभिनय के लिए हमेशा याद किया जाता है और एक बार नरगिस जी ने खुद स्वीकार किया था कि जो अभिनय उन्होंने मदर इंडिया में किया है वो किसी और मूवी में करना नामुमकिन है। मदर इंडिया में ग्रामीण भारत का चित्रण जितने जीवंत तरीके से किया है उसे फिर से फिर से उतरना असंभव है।