नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने मुस्लिमों को हज के लिए दी जाने वाली सब्सिडी बंद कर दी है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 2022 तक सब्सिडी खत्म करने को कहा था। मगर केंद्र सरकार ने चार साल पहले ही इसे खत्म कर दिया।
साल 2012 तक केंद्र सरकार पांच साल में एक बार हज यात्री को सब्सिडी देती थी। मगर उसके बाद एक मुसलमान को जिंदगी में एक बार हज यात्रा के लिए सब्सिडी देने की शुरुआत हुई। हालांकि इसकी शुरुआत आजादी के बाद साल 1954 में पहली बार हुई थी। जब केंद्र सरकार ने भारतीय मुसलमानों को हज यात्रा पर जाने के लिए सब्सिडी देने की शुरुआत की थी।
1954 में पहली बार सब्सिडी की शुरुआत हुई-
आजादी से पहले भारतीय मुसलमान पानी के जहाज से हज यात्रा करते थे। मगर आजादी के बाद सरकार ने पानी के जहाज का किराया बढ़ाने की कोशिश की, तो मुस्लिम समाज ने इसका विरोध शुरू कर दिया। इसे देखते हुए सरकार ने मुस्लिम समाज के सामने ये विकल्प रखा कि वो पानी के जहाज के बजाए अगर हवाई जहाज के जरिए हज यात्रा करते हैं, तो यात्रा के किराये में जो अंतर आएगा, वो सरकार भरेगी। इसके बाद ही साल 1954 में हज पर जाने वाले मुसलमानों को सब्सिडी देने की शुरुआत हुई।
1974 में बना नया नियम-
1974 तक तो पुराने नियम के तहत ही मुसलमानों को सरकार सब्सिडी देती रही। मगर 1974 में सरकार ने सब्सिडी हासिल करने के लिए नया नियम बनाया, जिसमें कहा गया कि उसी हज यात्री को सब्सिडी मिलेगी, जो सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया के जरिए हज यात्रा पर जाएगा।
सऊदी अरब से हुआ ये करार-
आजादी से पहले पानी के जरिए हज यात्रा हुआ करती थी और वो हवाई जहाज से सस्ता पड़ती थी। इसे देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने इसी साल सऊदी अरब से पानी के रास्ते हज यात्रा को लेकर करार किया है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्री डॉ मुहम्मद सालेह बिन ताहिर के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षऱ किए थे और जल्द ही पानी के जरिए हज यात्रा की शुरुआत होगी।
1995 में पानी के रास्ते हज यात्रा रूकी थी-
ऐसा नहीं था कि 1974 के नए नियम के बाद समु्द्री मार्ग से हज यात्रा रूक गई थी। हज यात्रियों का मुंबई से समुद्री मार्ग के जरिए जेद्दा पहुंचने का सिलसिला 1995 में थमा था। हालांकि ये सस्ता पड़ता था, इसे देखते हुए सरकार ने पानी के रास्ते यात्रा की शुरुआत करने की पहल की है।
हज यात्रियों को जहाज( समुद्री मार्ग) से भेजने पर यात्रा संबंधी खर्च काफी कम हो जाएगा। क्योंकि आधुनिक तकनीक से लैस और बड़े पानी के जहाजों के जरिए एक बार में चार से पांच हजार लोग हज यात्रा पर जा सकेंगे। मुंबई और जेद्दा के बीच की दूरी 2300 नॉटिकल माइल है। ऐसे में समुद्री मार्ग के जरिए एक तरफ का सफऱ तीन से चार दिन में पूरा हो जाएगा, जबकि आजादी से पहले इसी सफऱ को तय करने में 12 से 15 दिन लगते थे।
पानी के जरिए सस्ती हज यात्रा की वजह से गरीब मुसलमानों के लिए भी हज करने का सपना पूरा करना आसान होगा। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने दोबारा समुद्री मार्ग से यात्रा शुरू करने के लिए सऊदी सरकार से करार किया है।